भीमा कोरेगांव हिंसा : सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया, 5 नहीं 3 जजों ने नवलखा मामले पर सुनवाई से खुद को अलग किया है
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की याचिका पर 5 नहीं बल्कि 3 जजों ने सुनवाई से खुद को अलग किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सिर्फ जस्टिस बी. आर. गवई ने सुनवाई से खुद को अलग किया था। इस पीठ ने इसलिए सुनवाई से इनकार किया क्योंकि ये पीठ आगे भी अन्य मामलों की सुनवाई करने वाली है।
दरअसल गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट ने भी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। गुरुवार को जैसे ही जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट की पीठ के सामने मामला आया तो जस्टिस मिश्रा ने कहा कि पीठ के एक जज मामले की सुनवाई नहीं करना चाहते।
मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में 3 जजों की पीठ में शामिल जजों ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
मुख्य न्यायाधीश पहले ही कर चुके हैं खुद को सुनवाई से अलग
इससे पहले सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। मंगलवार को जस्टिस एन. वी. रमना, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी. आर. गवई की पीठ के सामने ये मामला आया तो पीठ में शामिल जस्टिस गवई ने कहा कि वो सुनवाई से अलग हो रहे हैं। हालांकि शाम को जारी आदेश में कहा गया कि पीठ के तीनों जज मामले की सुनवाई नहीं करेंगे।
गौरतलब है कि नवलखा ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के 13 सितंबर के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें FIR रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाया था कि गौतम नवलखा के खिलाफ बनता है प्रथम दृष्टया मामला
दरअसल बॉम्बे उच्च न्यायालय ने नवलखा के खिलाफ 1 जनवरी 2018 को पुणे पुलिस द्वारा दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था। गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने अतिरिक्त लोक अभियोजक अरुणा पई द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत दस्तावेज का हवाला देते हुए यह कहा था कि 65 वर्षीय एक्टिविस्ट के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
पुलिस ने यह दावा किया कि उसके पास माओवादी साजिश में नवलखा की 'गहरी संलिप्तता' के सबूत हैं। अदालत ने यह भी कहा था कि अपराध भीमा-कोरेगांव हिंसा तक सीमित नहीं है इसमें कई पहलू हैं। इसलिए हमें जांच की जरूरत लगती है।
क्या है नवलखा के खिलाफ मामला
दरअसल एल्गार परिषद द्वारा 31 दिसंबर 2017 को पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में कार्यक्रम के एक दिन बाद कथित रूप से हिंसा भड़क गई थी। पुलिस का यह आरोप है कि मामले में नवलखा और अन्य आरोपियों का माओवादियों से लिंक था और वे सरकार को उखाड़ फेंकने की दिशा में काम कर रहे थे।