बार-बार रेप करने वाले को मौत की सज़ा : बॉम्बे हाईकोर्ट ने धारा 376 (E) की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा

Update: 2019-06-03 11:23 GMT

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को आईपीसी की धारा 376 (E) की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है, जिसमें बलात्कार के मामलों में बार-बार अपराध करने वालों को उम्रकैद या मौत की सजा का प्रावधान है।

न्यायमूर्ति बी. पी. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की पीठ ने शक्ति मिल सामूहिक बलात्कार मामले में 3 दोषियों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।

जुलाई 2013 में 18 वर्षीय कॉल सेंटर कर्मचारी और अगस्त 2013 में 22 वर्षीय फोटो जर्नलिस्ट के सामूहिक बलात्कार के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा विजय जाधव, मोहम्मद कासिम शेख और मोहम्मद सलीम अंसारी को मृत्युदंड दिया गया है।

धारा 376 (E) में कहा गया है: 
"जहाँ किसी को पहले धारा 376 या धारा 376 A या धारा 376 AB या धारा 376 D या धारा 376 DD या धारा 376 DB के तहत अपराध का दोषी पाया गया है और बाद में किसी भी धारा के तहत दंडनीय अपराध का दोषी पाया गया है तो उसे आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के प्राकृतिक जीवन के शेष के लिए कारावास या मृत्यु के साथ होगा।"

अदालत के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया था कि धारा 376 (E) के द्वारा विधायिका ने दोहराए जाने वाले बलात्कार के अपराध का उपचार किया है, लेकिन ये हत्या के अपराध से कठोर सजा नहीं हो सकती। वकील युग मोहित चौधरी ने कहा, "ऐसे मामले में किसी को मौत की सजा कैसे हो सकती है, जबकि ऐसे मामलों में कोई जिंदगी नहीं ली गई है।"

वहीं सरकार ने नए संशोधन का बचाव किया है और कहा गया कि बलात्कार के अपराध में भले ही किसी की जान ना ली गई हो फिर भी वो कठोर सजा के हकदार हैं। बलात्कार को सबसे गंभीर अपराध माना जाता है क्योंकि यह केवल शारीरिक हमला नहीं बल्कि ये पीड़ित महिला की आत्मा, उसके व्यक्तित्व और अक्सर उसके जीवन के बाकी हिस्से को व्यर्थ कर देता है

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