'यह महत्वपूर्ण मुद्दा है': सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग पर 'वोटर प्रोफाइलिंग' का आरोप लगाने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2022-12-14 07:12 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद के इंजीनियर श्रीनिवास कोडाली द्वारा दायर एसएलपी पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में आरोप लगाया गया कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने मतदाता रिकॉर्ड को आधार से जोड़ने के लिए "अनडिस्क्लोज्ड सॉफ्टवेयर" लगाकर "वोटर प्रोफाइलिंग" में लिप्त है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, "यह महत्वपूर्ण मुद्दा है"।

कोडाली ने पहले तेलंगाना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने उनकी जनहित याचिका खारिज कर दी।

उनका मामला यह है कि ईसीआई ने राज्य सरकारों को मतदाता रिकॉर्ड तक पहुंचने और प्रतियां बनाने की अनुमति दी है। "ईसीआई ने प्रभावी ढंग से निगरानी बनाई है।" इससे राजनीति में सक्रिय लोग उनके 'हित के अनुसार लोगों को समूह' में विभाजित कर सकते हैं और उन्हें चुनावी प्रक्रिया से चुनिंदा रूप से या तो निशाना बना सकते हैं या उनकी उपेक्षा कर सकते हैं। इससे चुनाव के स्वतंत्र और निष्पक्ष संचालन में हस्तक्षेप होगा।

उन्होंने कहा कि यह सब किसी वैध कानून के अभाव में एल्गोरिथम को मतदाता सूची के सत्यापन के लिए सहायता या विकल्प के रूप में उपयोग करने के लिए किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट गौतम भाटिया पेश हुए।

वहीं एडवोकेट एन साईं विनोद ने कहा,

"संक्षेप में ईसीआई ने अनुच्छेद 324 के तहत अपने संवैधानिक कर्तव्य और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 डी के तहत सरकार या उनके नियंत्रण में इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस से सहायता के बिना मतदाता सूची तैयार करने के लिए वैधानिक दायित्व पूरा नहीं किया।"

उनका दावा है कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम सॉफ्टवेयर से हटा दिए गए हैं।

याचिका में कहा गया,

"बिना किसी स्पष्टीकरण के मतदाता सूची से नाम हटा दिए गए ... दो राज्यों में लाखों मतदाताओं के मतदान अधिकार बिना उचित प्रक्रिया के वंचित कर दिए गए।"

इसमें कहा गया,

"वोट देने के अधिकार में अत्यधिक प्रशासनिक बोझ न रखने का अधिकार शामिल है, जो वोट देने के अधिकार को बाधित या वंचित करता है। प्रभावित मतदाता को सूचित करने में विफल रहने और नाम हटाने के कारणों को निर्दिष्ट किए बिना ईसीआई ने अवैध रूप से मतदाताओं पर यह साबित करने के लिए बोझ डाला कि वे न तो डुप्लीकेट हैं, न ही शिफ्ट हुए हैं और न ही डेड वोटर हैं।"

केस टाइटल: श्रीनिवास कोडाली बनाम भारत निर्वाचन आयोग और अन्य

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