दिमागी बुखार से बच्चों की मौत : सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिकाओं को खारिज किया, याचिकाकर्ताओं को पटना हाई कोर्ट जाने को कहा

Update: 2019-07-27 07:39 GMT

उत्तर प्रदेश और बिहार में बच्चों की दिमागी बुखार एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से होने वाली मौतों को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

सरकार के हलफनामे से संतुष्ट हुई अदालत
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह कहा कि वो इस मामले में सुनवाई नहीं करेंगे और वे केंद्र व बिहार सरकार के हलफनामे से संतुष्ट हैं। पीठ ने कहा कि अगर इस बीमारी से संबंधित कोई शिकायत है तो याचिकाकर्ता पटना हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं।

जब याचिकाकर्ता की ओर से यह कहा गया कि बिहार में 57% डॉक्टरों की कमी है तो पीठ ने यह कहा कि अदालतों में जजों, स्कूलों में शिक्षकों की भी कमी है और अदालत डॉक्टरों की भर्ती के आदेश जारी नहीं कर सकती है।

अदालत ने मांगा था जवाब, बिहार सरकार ने सेवाओं में कमी स्वीकारी
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और बिहार सरकार को नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगा था जबकि बिहार में बच्चों के दिमागी बुखार एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से पीड़ित होने से हो रही मौतों के मामले में बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह माना था कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में भारी खामियां हैं और संसाधनों की भी कमी है। बिहार सरकार ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग में मानव संसाधन की स्थिति ठीक नहीं है। स्वास्थ्य विभाग में 57 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी है जबकि 71 प्रतिशत नर्सें नहीं हैं।

"सरकार उठा रही है जरूरी कदम"
बिहार सरकार ने हलफनामे में यह कहा कि सरकार इस बीमारी से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है और खुद मुख्यमंत्री इस मामले की निगरानी कर रहे हैं। मेडिकल ऑफिसर और पैरा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के लिए वह कारगर कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार ने सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर बेहतर पोषण मुहैया कराने के लिए निर्देश दिया है। साथ ही 10 नए मेडिकल कॉलेज और कुछ जिला अस्पतालों को अपग्रेड करने का फैसला लिया गया है।

सरकार तय कर रही है गाइडलाइन
सरकार ने पीठ को यह भी बताया कि अभी तक 157 बच्चों की मौत हुई है लेकिन पिछले सालों के मुताबिक इस बार मौतों की दर घटकर 19 प्रतिशत रह गई है। सरकार इस मामले में गाइडलाइन भी तैयार कर रही है। मृतक बच्चों के परिजनों के 4-4 लाख रुपये मुआवजा भी दिया गया है। वहीं केंद्र सरकार ने भी हलफनामा दाखिल कर कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं राज्य का विषय है फिर भी केंद्र बिहार सरकार की यथासंभव सहायता कर रही है।

याचिका में उठाए गए प्रश्न एवं लगाए गए लापरवाही के आरोप
यूथ बार एसोसिएशन के सदस्य वकीलों मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी द्वारा दाखिल याचिका में यह कहा गया था कि बिहार में पिछले दिनों 126 से अधिक बच्चों (ज्यादातर आयु वर्ग 1 से 10) की मौत बिहार, उत्तर प्रदेश और भारत सरकार की संबंधित सरकारों की लापरवाही और निष्क्रियता का प्रत्यक्ष परिणाम है। एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के प्रकोप के कारण हर साल होने वाली महामारी की स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम नहीं किए गए हैं।

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