मुखर्जी नगर हिंसा : दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार, कहा ये पुलिस की बर्बरता का सबूत

Update: 2019-06-20 06:40 GMT

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को उत्तर पश्चिम दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक टेंपो चालक और उसके नाबालिग बेटे पर कथित हमले के लिए यह कहते हुए फटकार लगाई कि यह "पुलिस की बर्बरता का सबूत" है और वर्दीधारी फोर्स को ऐसे कार्य नहीं करना चाहिए।

पीठ ने घटना का वीडियो देखने के बाद की टिप्पणी

न्यायमूर्ति जयंत नाथ और न्यायमूर्ति नजमी वज़ीरी की पीठ ने रविवार को हुई मारपीट का वीडियो देखने के बाद कहा, "आप 15 साल के लड़के पर हमले को कैसे सही ठहरा सकते हैं? अगर यह पुलिस की बर्बरता का सबूत नहीं है तो आपको और क्या चाहिए?"

पीठ ने आगे यह कहा कि अगर कोई वर्दीधारी फोर्स इस तरह से काम करेगी तो यह "नागरिकों को भयभीत" करेगा जबकि उन्हें यह महसूस होना चाहिए कि पुलिस उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूद है।

"कोई भी वर्दीधारी फोर्स ऐसा कैसे कर सकती है? यह नागरिकों को डराता है कि वर्दीधारी फोर्स इस तरह से काम कर रही है। इससे समाज में बेचैनी पैदा होगी। आपको (पुलिस) यह बताना होगा कि आप नागरिकों के साथ हैं। यही बच्चों समेत सभी नागरिक चाहते हैं," पीठ ने जारी रखते हुए कहा।

अदालत ने जारी किए नोटिस

अदालत ने इन टिप्पणियों के बाद घटना की स्वतंत्र CBI जाँच के लिए दाखिल जनहित याचिका पर केंद्र, AAP सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए अपना पक्ष रखने को कहा है।

हुए थे घटना के वीडियो वायरल

पीठ ने संयुक्त पुलिस आयुक्त रैंक के एक अधिकारी से घटना के संबंध में 1 सप्ताह के भीतर एक स्वतंत्र रिपोर्ट मांगी है और मामले को 2 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। दरअसल रविवार शाम एक टेंपो चालक सरबजीत सिंह और पुलिसकर्मियों के बीच झगड़े के कई वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुए।

"वीडियो से पहचाने गए 3 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है"

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील सत्यकाम ने कहा कि वह अधिकारियों की कार्रवाई का बचाव नहीं कर रहे हैं। दोनों पक्षों की शिकायतों पर एफआईआर दर्ज की गई है और मामले को जांच के लिए अपराध शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि वीडियो से पहचाने गए 3 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और संयुक्त पुलिस आयुक्त रैंक का एक अधिकारी घटना की स्वतंत्र जांच कर रहा है।

अदालत ने अन्य अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्यवाही पर जवाब मांगा
हालांकि अदालत इन दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई। पीठ ने कहा कि हमले में शामिल अधिकारियों में से 8 से 9 स्पष्ट रूप से पहचाने जाने योग्य हैं। पीठ ने पूछा कि इन सभी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई१ अदालत में वीडियो देखने के बाद पीठ ने यह भी कहा कि क्लिप में 5 अधिकारियों को नाबालिग लड़के को सड़क पर घसीटते हुए और लाठी से पीटते हुए दिखाया गया, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है?

"उन 5 अधिकारियों को पहचानें जिन्होंने लड़के के साथ मारपीट की, उसे लाठी से पीटते हुए सड़क किनारे घसीटा और वह भी दिन के उजाले में। वह लड़का निहत्था था और वह केवल अपने पिता को वहां से ले जाने की कोशिश कर रहा था और फिर भी उस बेरहमी से पीटा गया था, "अदालत ने नोट किया।

अदालत ने 5 अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जरूरत बताई

अदालत ने पुलिस, केंद्र और AAP सरकार से कहा कि उन 5 अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने लड़के की पिटाई की थी।

क्या था यह पूरा मामला१

गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में टेंपो चालक द्वारा पुलिसकर्मियों का तलवार लेकर पीछा करते हुए देखा गया था और दूसरे में अधिकारियों को ऑटो चालक और उसके बेटे को डंडों से पीटते हुए देखा गया था।

याचिकाओं में स्वतंत्र सीबीआई जांच, मुआवजे आदि की हुई मांग

वकील सीमा सिंघल ने अपनी याचिका में स्वतंत्र सीबीआई जांच के अलावा पुलिस सुधारों के लिए उचित दिशानिर्देशों का निर्धारण करने का अनुरोध किया है ताकि इस तरह के "पुलिस क्रूरता और अत्यधिक बल के हिंसक कार्यों" को रोका जा सके। वहीं वकील संगीता भारती के माध्यम से दायर याचिका में हमले के पीड़ितों के लिए मुआवजे की भी मांग की गई है। याचिका में अदालत से इस मामले की स्टेटस और मेडिकल रिपोर्ट के साथ- साथ मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन से सीसीटीवी फुटेज मंगाने का भी आग्रह किया है।

पुलिस द्वारा मामले को लेकर किया गया दावा

पुलिस के मुताबिक टेंपो चालक की गाड़ी एक पुलिस वैन से टकरा जाने के बाद यह विवाद हुआ था। पुलिस ने दावा किया कि इस घटना में 8 लोग घायल हो गए थे। इस घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने 3 पुलिसकर्मियों को "अभद्र व्यवहार" के लिए निलंबित कर दिया था और जांच शुरू की थी।

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