सार्वजनिक महत्व की परियोजना को रोका नहीं जा सकता : सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में झुग्गीवासियों की बेदखली की चुनौती खारिज की

"किसी गलत चीज़ (wrong) के लिए कोई समानता (equality) नहीं हो सकती। सार्वजनिक महत्व की एक परियोजना, यह दोहराया जा रहा है, कि उसे रोका नहीं जा सकता।“

Update: 2019-06-11 05:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में एक सड़क को चौड़ा करने के लिए कुछ झुग्गी वासियों को बेदखल करने के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है।

न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि कोर्ट, मुंबई जैसे अत्यधिक भीड़भाड़ वाले शहर में सड़क को चौड़ा करने के सार्वजनिक महत्व के प्रोजेक्ट में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।

दरअसल बंबई उच्च न्यायालय के नगर निगम की बेदखल करने की कार्रवाई के खिलाफ चुनौती को खारिज करने के बाद झुग्गीवासियों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

पीठ ने यह उल्लेख किया कि वे न तो उस जमीन के मालिक हैं जिस पर उनकी दुकानें और निवास हैं और न ही वे किसी भी किरायेदारी या पट्टे के तहत आते हैं।

किसी गलत चीज़ (wrong) के लिए कोई समानता (equality) नहीं हो सकती

दरअसल शीर्ष अदालत के सामने झुग्गी वासियों की ओर से यह तर्क दिया गया था कि बहु-मंजिला भवनों के निर्माण के कारण सड़क का अलाईंमेंट एक समान नहीं है और इस विवाद के चलते इसे वर्ष 2015 में मंजूरी नहीं दी गई थी।

पीठ ने यह कहा:

अत्याधिक भीड़भाड़ वाले एक शहर में सड़क को चौड़ा करने के सार्वजनिक महत्व के प्रोजेक्ट में इस आधार पर हस्तक्षेप करने को मंजूरी नहीं दी जा सकती कि बहुमंजिला इमारतों के निर्माण के कारण सड़क की अलाईंमेंट समान नहीं है।

किसी गलत चीज़ (wrong) के लिए कोई समानता (equality) नहीं हो सकती। सार्वजनिक महत्व की एक परियोजना, यह दोहराया जा रहा है, कि उसे रोका नहीं जा सकता। यह आदेश हस्तक्षेप का आह्वान नहीं करता है।"

अदालत ने यह कहा कि अगर बेदखल किए गए लोग सुरक्षित कब्जाधारी हैं तो उन्हें निष्कासन की तारीख से 3 महीने के भीतर वैकल्पिक आवास प्रदान किया जाएगा।


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