भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद आवश्यक योग्यता में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता: कलकत्ता हाइकोर्ट

Update: 2024-05-06 06:43 GMT

कलकत्ता हाइकोर्ट की जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी की सिंगल जज बेंच ने अनिमेष सिंह महापात्रा एवं अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य के मामले में रिट याचिका पर निर्णय लेते हुए कहा कि एक बार भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद भर्ती प्रक्रिया के दौरान आवश्यक योग्यता में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। विशेष रूप से जब तक कि विज्ञापन में या भर्ती को नियंत्रित करने वाले किसी नियम के तहत ऐसी शक्ति आरक्षित न हो।

मामले की पृष्ठभूमि

पश्चिम बंगाल में सहायक शिक्षकों के विभिन्न पदों को भरने के लिए पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग द्वारा 12वीं क्षेत्रीय स्तरीय चयन परीक्षा (RLST) के तहत चयन प्रक्रिया शुरू की गई और पात्र और इच्छुक उम्मीदवारों को आमंत्रित करने के लिए 29.12.2011 को इस संबंध में विज्ञापन जारी किया गया।

याचिकाकर्ता अंतिम मेरिट सूची में चयनित नहीं हो पाए। हालांकि यह बात सामने आई कि आयोग की दिनांक 06.06.2013 की 450वीं बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके अनुसार D.E.L.ED या प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान (PTTI) से डिग्री और एक वर्षीय ब्रिज कोर्स के सर्टिफिकेट रखने वाले व्यक्ति के अंकों में कोई शैक्षणिक स्कोर नहीं जोड़ा गया।

उक्त प्रस्ताव के कारण याचिकाकर्ताओं को उनकी प्रशिक्षण योग्यता के विरुद्ध कोई अंक नहीं दिए गए। इस प्रकार, रिट याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ताओं द्वारा यह तर्क दिया गया कि दिनांक 23.12.2011 के विज्ञापन के अनुसार पास श्रेणी और ऑनर्स रिक्ति दोनों के लिए प्रशिक्षण योग्यताएं समान थीं।

विज्ञापन में उत्तीर्ण श्रेणी में सहायक अध्यापक के पद के लिए किसी भी यूजीसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बी.ए./बी.एससी./बी.कॉम की योग्यता निर्धारित की गई, जिसमें संबंधित विषय कम से कम 300 अंकों का संयुक्त विषय हो और प्रारंभिक शिक्षा में 2 वर्षीय डिप्लोमा (चाहे किसी भी नाम से जाना जाए) हो। चूंकि याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) से मान्यता प्राप्त संस्थानों से एक वर्षीय ब्रिज कोर्स पूरा किया। इसलिए उन्होंने उक्त विज्ञापन में निर्धारित वांछित योग्यताएं हासिल कर लीं, क्योंकि एक वर्षीय ब्रिज कोर्स के साथ प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण दो वर्षीय D.L.Ed. कोर्स के बराबर है।

दूसरी ओर, आयोग ने तर्क दिया कि ऑनर्स श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए B.Ed. की अनिवार्य प्रशिक्षण योग्यता की आवश्यकता होती है और जिन उम्मीदवारों ने एक वर्षीय ब्रिज कोर्स के साथ प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण लिया, उन्हें B Ed. डिग्री वाले लोगों के बराबर नहीं माना जाएगा।

न्यायालय के निष्कर्ष

न्यायालय ने पाया कि आमतौर पर किसी विशेष पद के संबंध में योग्यता से संबंधित राज्य/नियोक्ता द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णय उस पद के संबंध में जारी विज्ञापनों में परिलक्षित होते हैं। न्यायालय ने आगे कहा कि यह कानून का स्थापित प्रस्ताव है कि जब विज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया कि चयन कुछ नियमों के अनुसार किया जाएगा तो चयन उन नियमों के साथ सख्ती से अनुपालन में किया जाना चाहिए।

न्यायालय ने आगे कहा कि विभिन्न अधिसूचनाओं और दिनांक 29.12.2011 के विज्ञापन के प्रावधानों को संयुक्त रूप से पढ़ने पर यह निष्कर्ष निकला कि सभी याचिकाकर्ता, जिन्होंने "पास श्रेणी" के तहत पद के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश की, जिनके पास पीटीटीआई प्रशिक्षण (एक वर्ष) है और जिन्होंने NCTE से मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण संस्थान से एक वर्ष का ब्रिज कोर्स पूरा किया, उन्हें 2 वर्षीय D.L.ED. की डिग्री वाले उम्मीदवार के रूप में माना जाएगा और वे 6 अंक पाने के हकदार हैं।

न्यायालय ने आगे कहा कि एक बार विज्ञापन जारी करके भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद भर्ती के दौरान आवश्यक योग्यता में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता, जब तक कि विज्ञापन में या भर्ती को नियंत्रित करने वाले किसी अन्य नियम में ऐसी शक्ति आरक्षित न हो। इस प्रकार, आयोग द्वारा अपनी 450वीं बैठक में D.L.ED को B.ED के बराबर न मानने का प्रस्ताव पारित करने की कार्रवाई विज्ञापन की शर्तों के विपरीत है। इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता।

अदालत ने आगे कहा कि विज्ञापनों के प्रावधानों में वैधानिक नुस्खे शामिल हैं।

उपर्युक्त टिप्पणियों के साथ अदालत ने रिट याचिका का निपटारा कर दिया।

केस टाइटल- अनिमेष सिंह महापात्रा और अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य

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