धारा 151A के तहत अनिवार्य प्रक्रिया की अवहेलना में कार्यवाही फिर से शुरू करना रद्द किया जाएगा: बॉम्बे हाईकोर्ट

Update: 2024-08-29 07:41 GMT

Bombay High Court 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि मूल्यांकन अधिकारी को धारा 148ए के तहत प्रक्रिया अपनाने और धारा 148 के तहत परिणामी नोटिस जारी करने के लिए 29 मार्च, 2022 की CBDT अधिसूचना के साथ धारा 151ए के प्रावधानों का पालन करना आवश्यक है।

आयकर अधिनियम की धारा 151ए केंद्र सरकार को धारा 147 (आय-छूट मूल्यांकन) के तहत मूल्यांकन, पुनर्मूल्यांकन या पुनर्संकलन के उद्देश्य से योजना बनाने का अधिकार देती है; आय-छूट मूल्यांकन करने के लिए धारा 148 के तहत नोटिस जारी करना या जांच करना या कारण बताओ नोटिस जारी करना या धारा 148ए के तहत आदेश पारित करना या आय-छूट मूल्यांकन करने के लिए धारा 148 के तहत नोटिस जारी करने के लिए धारा 151 के तहत मंजूरी देना।

जस्टिस जी.एस. कुलकर्णी और जस्टिस सोमशेखर सुंदरसन की खंडपीठ ने कहा,

"हेक्सावेयर में कानून की स्पष्ट घोषणा के मद्देनजर, याचिकाकर्ता-करदाता की शिकायत जहां तक ​​नोटिस के अवैध जारी करने से संबंधित है, वह संधारणीय है। परिणामस्वरूप, जिस तरह से कार्यवाही शुरू की गई है वह कार्यवाही को गलत साबित करती है।”

मामले के तथ्य:

धारा 148ए(बी) के तहत जारी नोटिस और धारा 148ए(डी) के तहत पारित आदेश, साथ ही परिणामी नोटिस, धारा 148 के तहत क्षेत्राधिकार निर्धारण अधिकारी (जेएओ) द्वारा जारी किए गए थे न कि फेसलेस निर्धारण अधिकारी (FO) द्वारा जैसा कि अधिनियम की धारा 151ए के प्रावधानों के तहत आवश्यक है। इसलिए करदाता ने ऐसे नोटिसों की वैधता और पुनर्मूल्यांकन आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

खंडपीठ ने उल्लेख किया कि केंद्र सरकार ने 29 मार्च, 2022 को एक अधिसूचना जारी की, जिसके तहत फेसलेस तंत्र पेश किया गया, जिसमें एफएओ और राजस्व को धारा 148/148ए के तहत पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी करते समय धारा 151ए का अनुपालन करना अनिवार्य किया गया।

हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड बनाम सहायक आयकर आयुक्त साथ ही नैनराज एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड बनाम आयकर उपायुक्त मामले में समन्वय पीठ के निर्णयों पर भरोसा करते हुए पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि राजस्व केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित योजना का अनुपालन करने में विफल रहा, जिसे धारा 151ए(2) के तहत अधीनस्थ कानून के रूप में संसद में भी पेश किया गया था क्योंकि पुनर्मूल्यांकन नोटिस FAO के बजाय JO द्वारा जारी किया गया था।

पीठ ने यह भी पाया कि कारण बताओ नोटिस 29 मार्च 2022 को धारा 151ए के तहत फेसलेस मैकेनिज्म को अनिवार्य करने वाली अधिसूचना जारी होने के एक दिन के भीतर जारी किया गया।

इस प्रकार, पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना किसी भी तरह से धारा 151ए के तहत मूल प्रावधान को नियंत्रित नहीं कर सकती है।

इसलिए हाईकोर्ट धारा 148 के तहत जारी पुनर्मूल्यांकन नोटिस, धारा 148ए(बी) के तहत नोटिस और धारा 151ए के तहत अनिवार्य फेसलेस एओ के बजाय क्षेत्राधिकार एओ द्वारा पारित धारा 148ए(डी) के तहत आदेश रद्द करता है।

इसलिए हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि क्षेत्राधिकार एओ के पास पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। उसने करदाता की याचिका स्वीकार की।

केस टाइटल- तिलक वेंचर्स लिमिटेड बनाम भारत संघ

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