बॉम्बे हाईकोर्ट ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने वाले महंत रामगिरी के वीडियो हटाने का आदेश दिया

Update: 2024-09-03 06:48 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र पुलिस को विवादित स्वयंभू संत महंत रामगिरी महाराज के वीडियो हटाने का आदेश दिया, जिसमें उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की जिससे मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने वकील एजाज नकवी के अनुरोध पर पुलिस को मौखिक आदेश दिया, जिन्होंने बताया कि विवादित वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हर जगह है और इससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है।

जस्टिस मोहिते-डेरे ने पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक प्राजक्ता शिंदे को मौखिक रूप से आदेश दिया,

"उचित कदम उठाएं और सुनिश्चित करें कि वीडियो सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटा दिए जाएं।"

खंडपीठ ने शिंदे को विवादास्पद वीडियो हटाने के लिए पुलिस विभाग की साइबर सेल विंग की मदद लेने और महंत रामगिरी के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर की जांच करने का भी आदेश दिया। एडवोकेट नकवी के माध्यम से दायर याचिका के अनुसार रामगिरी ने सिन्नर जिले में एक कार्यक्रम में पैगंबर मुहम्मद और छह साल की बच्ची के साथ उनके कथित संबंधों के बारे में कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं।

वकील ने खंडपीठ को बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन हुए। उन्होंने वीडियो के कारण अशांति की संभावनाओं पर प्रकाश डाला और कहा कि कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है।

अन्य याचिका में पेश हुए अन्य वकील ने पीठ से रामगिरी को गिरफ्तार करने का आग्रह किया, क्योंकि लोग आपत्तिजनक टिप्पणियों के खिलाफ भूख हड़ताल पर भी बैठे हैं।

रामगिरी को गिरफ्तार करने के इस विशेष आग्रह पर जस्टिस चव्हाण ने जवाब दिया,

"कानून अपना काम करेगा। आप हमें अपनी शर्तें नहीं बता सकते। एफआईआर में जिस अपराध का उल्लेख किया गया। उसमें 7 साल से कम की सजा का प्रावधान है। पुलिस तय करेगी कि उसे गिरफ्तार करना है या नहीं। जहां तक ​​कानून-व्यवस्था की स्थिति का सवाल है यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है।"

इस बीच अभियोजक शिंदे ने खंडपीठ को सूचित किया कि महाराष्ट्र के विभिन्न पुलिस थानों में रामगिरी के खिलाफ कुल 58 एफआईआर दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि सभी 58 एफआईआर को एक साथ जोड़ दिया गया। उक्त मामले की जांच सिन्नर के MIDC पुलिस थाने को सौंपी गई, जहां यह घटना हुई।

खंडपीठ ने कहा कि वह मामले को लंबित रखेगी और देखेगी कि जांच में क्या होता है। तदनुसार सुनवाई 2 सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।

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