'ऑपरेशन सिंदूर' के खिलाफ पोस्ट करने वाली लॉ स्टूडेंट को नहीं मिली राहत, हाईकोर्ट का निलंबन मामले में हस्तक्षेप से इनकार
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने हाल ही में सिम्बायोसिस लॉ स्कूल की महिला लॉ स्टूडेंट को कोई राहत देने से इनकार कर दिया, जिसे भारतीय सेना द्वारा हाल ही में किए गए ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ इंस्टाग्राम पर कई राजनीतिक पोस्ट करने के लिए अगले आदेश तक संस्थान की सभी 'लशैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से निलंबित कर दिया गया था।
अवकाश न्यायालय के जज जस्टिस रोहित जोशी ने कहा कि याचिकाकर्ता अंतिम वर्ष की लॉ स्टूडेंट है, जिसे कथित तौर पर नागपुर के एक होटल में केरल के डेमोक्रेटिक स्टूडेंट एसोसिएशन (DSA) के सदस्य और स्वतंत्र पत्रकार रेजाज के साथ पाया गया था।
रेजाज को 7 मई को गिरफ्तार किया गया, जब उसने पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ भारत सरकार के ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ सोशल मीडिया पर कुछ आलोचनात्मक पोस्ट किए। गिरफ्तारी के एक दिन बाद याचिकाकर्ता को पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया और उसका सेल फोन जब्त कर लिया। हालांकि उसे गिरफ्तार नहीं किया गया।
इसके बाद नागपुर के सिम्बायोसिस लॉ स्कूल ने रेजाज के खिलाफ दर्ज की गई FIR का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता स्टूडेंट को अगले आदेश तक संस्थान से निलंबित कर दिया।
उक्त निलंबन को चुनौती देते हुए स्टूडेंट ने 14 मई को अवकाशकालीन अदालत में याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि निलंबन और आगामी (9वें सेमेस्टर) परीक्षाओं में बैठने से रोकने का आदेश दंड की प्रकृति का है और सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) आचार संहिता के स्टूडेंट्स द्वारा कदाचार/अनुशासनहीनता से निपटने की प्रक्रिया, 2023 के खिलाफ है।
उसने तर्क दिया कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार जांच किए बिना किसी स्टूडेंट को परीक्षा में बैठने से रोकना और निलंबित करना आचार संहिता के तहत दंड है।
उसने दावा किया कि 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट डालने के बाद उसे बलि का बकरा बनाया जा रहा है, जिसमें कहा गया कि रेजाज ने उसे कट्टरपंथी बना दिया।
जस्टिस जोशी ने कहा कि यह मामला अभी बहुत प्रारंभिक चरण में है, क्योंकि सभी तथ्य अभी रिकॉर्ड पर आने बाकी हैं।
अदालत ने कहा,
"संस्था ने याचिकाकर्ता को निलंबित करने और निलंबन अवधि के दौरान उसे परीक्षाओं में बैठने से रोकने का निर्णय लिया है। निलंबन अनुशासनात्मक जांच पूरी होने तक लागू रहेगा। इस संबंध में एक बयान दिया गया कि जांच 25 मई, 2025 को या उससे पहले समाप्त हो जाएगी और याचिकाकर्ता की अंतिम लिखित परीक्षा 5 जून, 2025 को आयोजित की जाएगी।”
इसके अलावा, पीठ ने कहा कि 13 मई के निलंबन आदेश के अनुसार यह स्पष्ट रूप से दर्ज है कि यदि याचिकाकर्ता को दोषमुक्त कर दिया जाता है तो उसके लिए विशेष परीक्षा आयोजित की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसे कोई शैक्षणिक नुकसान न हो।
पीठ ने कहा,
"मैं प्रथम दृष्टया मानता हूं कि सिम्बायोसिस लॉ स्कूल की कार्रवाई दंडात्मक नहीं है बल्कि निलंबन आदेश में दिए गए प्रावधान के अनुसार प्रकृति में प्रशासनिक है कि यदि याचिकाकर्ता को अनुशासनात्मक कार्यवाही में दोषमुक्त किया जाता है तो उसके लिए अतिरिक्त विशेष जांच की जाएगी। मेरी राय में यह समानता को संतुलित करने के लिए पर्याप्त होगा।"
न्यायाधीश ने लॉ स्कूल को 25 मई, 2025 को या उससे पहले जांच करने और उसे पूरा करने तथा उसी दिन याचिकाकर्ता को निर्णय बताने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता को जांच कार्यवाही में सहयोग करने का भी निर्देश दिया जाता है।
केस टाइटल: आईपी बनाम महाराष्ट्र राज्य (रिट याचिका 2654/2025)