पोर्टल बंद होने पर नियुक्ति अस्वीकार करना असंवैधानिक: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शिक्षक के पक्ष में सुनाया फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने हाल ही में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी शिक्षक की नियुक्ति को केवल इस आधार पर अस्वीकार करना अवैध है कि भर्ती अनिवार्य पवित्रा पोर्टल के माध्यम से नहीं की गई यदि वह पोर्टल भर्ती के समय गैर-कार्यशील था। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा अधिकारी द्वारा स्कूल के पूर्व संचारों का जवाब न देना भी अस्वीकृति का आधार नहीं हो सकता।
जस्टिस एम.एस. कर्णिक और जस्टिस शर्मिला यू. देशमुख की खंडपीठ ने शिक्षा अधिकारी के आदेश को अटिकाऊ और मनमाना बताते हुए रद्द कर दिया।
मामला
याचिकाकर्ता स्कूल में 1 अक्टूबर 2020 को सहायक शिक्षक के प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति के बाद शिक्षण सेवक के पद पर ओपन कैटेगरी में रिक्ति उत्पन्न हुई। स्कूल प्रबंधन ने 25 जुलाई 2022 और 22 अगस्त 2022 को शिक्षा अधिकारी को आवेदन भेजकर अधिशेष शिक्षकों की उपलब्धता के बारे में जानकारी मांगी और 'पवित्रा पोर्टल' के माध्यम से भर्ती करने तथा विज्ञापन जारी करने की अनुमति मांगी। हालांकि, उन्हें शिक्षा अधिकारियों से कोई जवाब नहीं मिला।
जवाब न मिलने पर प्रबंधन ने स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों सकाल और दैनिक लोकमत में रिक्ति का विज्ञापन दिया। याचिकाकर्ता (G.D. Art योग्यता वाली) ने विज्ञापन के जवाब में आवेदन किया और उचित चयन प्रक्रिया के बाद 2 जनवरी 2023 को शिक्षण सेवक के रूप में नियुक्त किया गया।
स्कूल प्रबंधन ने 16 फरवरी 2023 को शिक्षा अधिकारी को औपचारिक अनुमोदन के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसे अधिकारी ने दो मुख्य आधारों पर अस्वीकार कर दिया: पहला, भर्ती पवित्रा पोर्टल के माध्यम से नहीं की गई। दूसरा विज्ञापन जारी करने से पहले पूर्व अनुमति नहीं ली गई।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि अस्वीकृति का मुख्य आधार अमान्य था, क्योंकि भर्ती के दौरान (जनवरी, 2023 में) पवित्रा पोर्टल काम नहीं कर रहा था। कोर्ट ने कल्याणसिंग इंद्रसिंग राजपूत बनाम महाराष्ट्र राज्य के फैसले पर भरोसा करते हुए इस तथ्य को स्वीकार किया कि पोर्टल जून, 2024 तक गैर-कार्यशील था। कोर्ट ने कहा कि जो पोर्टल काम नहीं कर रहा था। उसका उपयोग न करने के आधार पर 2023 में की गई नियुक्ति को अस्वीकार करना मनमाना है।
दूसरे आधार पर कोर्ट ने पाया कि प्रबंधन ने अधिशेष शिक्षकों के बारे में जानकारी और विज्ञापन की अनुमति के लिए लिखित अनुरोध भेजे थे। हालांकि, अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि जब अधिकारी याचिकाकर्ताओं के संचार का जवाब देने में विफल रहे तो वह बाद में इस आधार पर प्रस्ताव को अस्वीकार नहीं कर सकते।
परिणामस्वरूप कोर्ट ने 28 फरवरी, 2023 के शिक्षा अधिकारी के आदेश को अस्थिर मानते हुए रद्द कर दिया। कोर्ट ने शिक्षा अधिकारी को याचिकाकर्ता को उनकी मूल नियुक्ति तिथि 2 जनवरी, 2023 से शिक्षण सेवक के पद पर व्यक्तिगत अनुमोदन प्रदान करने का निर्देश दिया।