महिला वकीलों की शिकायतों पर POSH कानून लागू नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संरक्षण कानून, 2013 (POSH Act) का प्रावधान महिला वकीलों द्वारा अन्य वकीलों के खिलाफ की गई यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर लागू नहीं होगा, क्योंकि बार काउंसिल और वकीलों के बीच कोई नियोक्ता-कर्मचारी (Employer-Employee) संबंध नहीं है।
चीफ जस्टिस आलोक आराध्ये और जस्टिस संदीप मर्ने की खंडपीठ ने साफ कहा,
"POSH कानून तभी लागू होता है जब नियोक्ता-कर्मचारी का रिश्ता हो। वकील और बार काउंसिल के बीच ऐसा कोई संबंध नहीं है। इसलिए महिला वकीलों की ऐसी शिकायतें इस कानून के दायरे में नहीं आएंगी।"
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि POSH कानून बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र व गोवा (BCMG) के कर्मचारियों और समिति के सदस्यों पर लागू होगा।
बेंच ने कहा कि अगर महिला वकीलों को अपने पुरुष सहकर्मियों से किसी भी प्रकार का उत्पीड़न झेलना पड़े तो उनके पास एडवोकेट्स एक्ट की धारा 35 के तहत शिकायत करने का पूरा अधिकार है, जिसके तहत पेशेवर या अन्य दुराचार पर कार्रवाई की जा सकती है।
यह फैसला UNS Women Legal Association की 2017 में दायर जनहित याचिका पर आया, जिसमें वकीलों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर POSH कानून लागू करने और स्थायी शिकायत निवारण तंत्र बनाने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: UNS Women Legal Association बनाम अन्य