बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूर्व स्टॉक ब्रोकर केतन पारेख के विदेश यात्रा के लिए 27 करोड़ जमा करने की शर्त रद्द की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में पूर्व स्टॉकब्रोकर केतन पारेख को विदेश यात्रा के लिए 27.06 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश देने वाला आदेश रद्द कर दिया। पारेख पर 1990 के दशक के आखिर और 2000 के दशक की शुरुआत में सिक्योरिटीज मार्केट में बड़े पैमाने पर हेरफेर करने का आरोप है और उनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है।
जस्टिस एन जे जमादार की सिंगल बेंच ने कहा कि स्पेशल कोर्ट का यह निर्देश पारेख की ट्रायल में मौजूदगी सुनिश्चित करने से जुड़ा हुआ नहीं था।
कोर्ट ने कहा,
“उक्त राशि जमा करने का निर्देश 2 जनवरी, 2025 के अंतरिम आदेश और कारण बताओ नोटिस को लागू करने का एक उपाय लगता है। हालांकि, इस राशि को एक दशक पहले शुरू हुए मुकदमों के संबंध में विदेश यात्रा के लिए एक शर्त नहीं बनाया जा सकता।”
पारेख पर SEBI एक्ट के तहत धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं (PFUTP) विनियमों के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा चल रहा है। उन्हें 6 अप्रैल, 2016 को इस शर्त पर जमानत दी गई कि उन्हें देश छोड़ने से पहले स्पेशल कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। रिकॉर्ड में रखे गए दस्तावेजों के अनुसार पारेख पहले भी कई बार विदेश यात्रा कर चुके हैं और यात्रा से संबंधित सभी निर्देशों का पालन किया।
14 अक्टूबर, 2025 को पारेख ने 5 से 9 नवंबर, 2025 के बीच पारिवारिक छुट्टी के लिए थाईलैंड और 18 से 28 नवंबर 2025 के बीच पारिवारिक शादी के लिए UAE जाने की अनुमति के लिए आवेदन किया। 4 नवंबर 2025 को स्पेशल जज ने आवेदन स्वीकार कर लिया लेकिन उन्हें 27.06 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा। यह निर्देश 2 जनवरी 2025 के एकतरफा अंतरिम SEBI आदेश के संदर्भ में दिया गया, जिसमें उन्हें और अन्य लोगों को संयुक्त रूप से और अलग-अलग तौर पर 65 करोड़ रुपये से अधिक के कथित गलत लाभ को वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया गया।
इसमें से 38 करोड़ रुपये से अधिक की राशि पहले ही उनके और अन्य लोगों द्वारा जमा की जा चुकी थी। इसलिए स्पेशल कोर्ट ने पारेख को शेष 27.06 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया, जो एकतरफा आदेश के अनुसार अभी तक जमा नहीं किए गए। पारेख की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अमित देसाई ने कहा कि अंतरिम आदेश अभी फाइनल नहीं हुआ और रिकवरी के लिए SEBI एक्ट की धारा 28-A के तहत कोई कार्रवाई या धारा 24(2) के तहत कोई मुकदमा शुरू नहीं किया गया। उन्होंने तर्क दिया कि विवादित रकम को शर्त के तौर पर थोपना यात्रा के लिए दी गई अनुमति को असल में खत्म कर देता है।
SEBI की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट चेतन कपाड़िया ने कहा कि यह शर्त क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के तहत सही थी और तर्क दिया कि पारेख ने कथित तौर पर फिर से फ्रंट रनिंग करके बेल की आज़ादी का गलत इस्तेमाल किया।
हाईकोर्ट ने पाया कि स्पेशल जज ने यह रिकॉर्ड नहीं किया था कि पारेख भाग सकता है और यह भी नोट किया कि पहले की विदेश यात्राओं की लिस्ट से पता चलता है कि उसने यात्रा की शर्तों का पालन किया था।
कोर्ट ने कहा,
"यह शर्त तर्कसंगतता आनुपातिकता और उद्देश्य के साथ संबंध के टेस्ट पर खरी नहीं उतरती।"
इसके बाद कोर्ट ने 27.06 करोड़ रुपये जमा करने की शर्त रद्द की और इसके बजाय निर्देश दिया कि पारेख को हर मामले में सिक्योरिटी के तौर पर 5 लाख रुपये जमा करने होंगे, जो अगर वह 29 नवंबर, 2025 को भारत वापस नहीं आता है तो ज़ब्त कर लिए जाएंगे।
आगे कहा गया,
"18 नवंबर, 2025 से 25 नवंबर, 2025 की अवधि के दौरान UAE यात्रा के लिए 27,06,73,574 रुपये की राशि जमा करने के निर्देश वाले आदेश रद्द किए जाते हैं।"
स्पेशल जज द्वारा लगाई गई बाकी सभी शर्तें वैसी ही रहेंगी।