बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिल्म 'शादी के डायरेक्टर करण और जौहर' की रिलीज पर लगी रोक हटाने से किया इनकार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को एकल जज के 7 मार्च 2025 का फैसला बरकरार रखा, जिसने फिल्म 'शादी के डायरेक्टर करण और जौहर' की रिलीज पर लगी रोक हटाने से इनकार किया, जो जून, 2024 में लगाई गई थी। कोर्ट ने उक्त आदेश यह देखते हुए दिया कि यह बॉलीवुड फिल्म निर्देशक और निर्माता करण जौहर के व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन करती है।
चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस मकरंद कार्णिक की खंडपीठ ने फिल्म के निर्माताओं द्वारा दायर अपील पर सुनवाई की, जिन्होंने जस्टिस रियाज छागला के 7 मार्च 2025 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसके द्वारा एकल जज ने 13 जून, 2024 को पारित अंतरिम आदेश को पूर्ण कर दिया था जिसमें फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई गई थी।
उल्लेखनीय रूप से जस्टिस छागला ने एकल जज के रूप में 13 जून, 2024 को फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया कि जौहर ने अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत प्रथम दृष्टया मामला बनाया है, जो उनके पास निहित है यह देखते हुए कि उन्हें कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों से स्पष्ट रूप से सेलिब्रिटी का दर्जा प्राप्त है, जिन्हें उन्होंने निर्देशित और निर्मित किया है।
जस्टिस छागला ने अंतरिम आदेश में कहा था,
"इसमें कोई संदेह नहीं है कि वादी (जौहर) ने बॉलीवुड फिल्म उद्योग को बदलने और कई सफल एक्टर्स के करियर को शुरू करने में भूमिका निभाई है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रथम दृष्टया विषय फिल्म वादी का सीधा संदर्भ है और वादी के नाम का अनधिकृत उपयोग करती है।”
इस अंतरिम आदेश की पुष्टि करते हुए जस्टिस छागला ने इस वर्ष 7 मार्च को विस्तृत निर्णय में कहा कि फिल्म के निर्माताओं ने अपनी फिल्म के शीर्षक में जौहर के नाम और व्यक्तित्व विशेषताओं का उपयोग करके अनधिकृत रूप से उनके व्यक्तित्व अधिकारों प्रचार अधिकारों और उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन किया है।
एकल जज ने फिल्म की रिलीज के खिलाफ दिए गए अंतरिम स्थगन को पूर्ण रूप से रद्द करते हुए कहा,
"इसके अलावा वादी (जौहर) यह साबित करने में सक्षम है कि उसके ब्रांड नाम का उपयोग करके प्रतिवादी (निर्माता) वादी की सद्भावना और प्रतिष्ठा का लाभ उठाकर अपने लिए अनुचित लाभ कमाने का प्रयास कर रहे हैं। इन परिस्थितियों के मद्देनजर, वादी द्वारा मांगी गई राहत प्रदान की जानी चाहिए।”
जज ने आगे कहा कि विचाराधीन फिल्म के फिल्म निर्माता उक्त फिल्म के संबंध में 'करण जौहर नाम का उपयोग करके जौहर द्वारा प्राप्त ब्रांड नाम का व्यावसायिक रूप से दोहन करेंगे और जिसका व्यावसायिक रूप से दोहन करने का आर्थिक अधिकार केवल उनके पास ही है।
उल्लेखनीय रूप से, फिल्म का कथानक दो मुख्य पात्रों करण और जौहर के बारे में है, जो बॉलीवुड उद्योग में पेशेवर रूप से फिल्म निर्देशक बनने का प्रयास करने वाले पात्रों की भूमिका निभाते हैं। एकल जज ने इस पर ध्यान दिया और कहा कि निर्देशक जो कि पेशा है, उसको वादी के नाम और फिल्म के कथानक के साथ संयुक्त रूप से उपयोग करके वादी के लिए एक सीधा और निर्विवाद संदर्भ दिया गया।
मामला
जौहर ने अपने मुकदमे में दावा किया कि उनका फिल्म से कोई संबंध नहीं है और प्रतिवादी उनके नाम का अवैध रूप से उपयोग कर रहे हैं। इंडियाप्राइड एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड और संजय सिंह द्वारा सह-निर्मित और बबलू सिंह द्वारा निर्देशित फिल्म ने कथित तौर पर जौहर के व्यक्तित्व अधिकारों, प्रचार के अधिकार और निजता के अधिकार का उल्लंघन किया। शिकायत में दावा किया गया कि फिल्म का शीर्षक सीधे जौहर के नाम को संदर्भित करता है, जो बिना प्राधिकरण के उनके ब्रांड, प्रतिष्ठा और सद्भावना का अवैध रूप से शोषण करता है।
याचिका में कहा गया कि फिल्म के शीर्षक में उनके नाम का अनधिकृत उपयोग उनकी स्थापित प्रतिष्ठा को भुनाने के लिए किया गया, जो कानून के तहत स्वीकार्य नहीं है।
शिकायत में कहा गया कि मीडिया और मनोरंजन, विशेष रूप से बॉलीवुड में उनकी व्यापक लोकप्रियता के कारण जौहर के नाम ने एक विशिष्ट पहचान और द्वितीयक अर्थ प्राप्त कर लिया। बौद्धिक संपदा कानूनों के तहत यह दर्जा जौहर को दूसरों को उनके प्रसिद्ध और विशिष्ट नाम का उपयोग करने से रोकने का अधिकार देता है। एक सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में, जौहर को अपनी निजता और व्यक्तित्व की रक्षा करने का अधिकार है शिकायत में कहा गया।
जौहर ने तर्क दिया कि ट्रेलर और प्रचार सामग्री की रिलीज़ उनकी प्रतिष्ठा और सद्भावना को अपूरणीय क्षति पहुंचा रही है और आगे भी पहुंचाती रहेगी, जो वर्षों के समर्पित काम और निवेश से बनी है।