बॉम्बे हाईकोर्ट ने घरेलू टूर्नामेंट खेलने के इच्छुक OCI क्रिकेटरों को अंतरिम राहत देने से इनकार किया

Update: 2025-10-06 11:26 GMT

यह देखते हुए कि OCI कार्डधारकों को भारत में घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंटों में खेलने की अनुमति देना भारतीय नागरिकों की कीमत पर होगा, बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में भारतीय प्रवासी नागरिकों (OCI) के एक समूह को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के उस प्रस्ताव को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें ऐसे टूर्नामेंटों में भाग लेने से प्रतिबंधित किया गया।

जस्टिस एम एस सोनक और जस्टिस अद्वैत एम सेठना की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने स्पष्ट मनमानी का मामला नहीं बनाया या अंतरिम अनिवार्य निषेधाज्ञा के लिए आवश्यक उच्च सीमा को पूरा नहीं किया।

खंडपीठ ने कहा,

"प्रथम दृष्टया स्पष्ट मनमानी का मामला नहीं बना है। सामान्य प्रथम दृष्टया मामले से उच्च मानक वाला मामला स्थापित नहीं हुआ। अपूरणीय पूर्वाग्रह के प्रश्न पर केवल याचिकाकर्ताओं के दृष्टिकोण से विचार नहीं किया जा सकता है।"

यह मामला BCCI द्वारा 18 दिसंबर, 2023 को पारित प्रस्ताव से संबंधित है, जिसके तहत घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंटों में भाग लेने वाले सभी खिलाड़ियों के लिए भारतीय पासपोर्ट रखना अनिवार्य कर दिया गया। यह OCI कार्डधारकों को प्रभावी रूप से अयोग्य घोषित करता है, जिनमें कई युवा क्रिकेटर भी शामिल हैं, जिन्हें पहले भाग लेने की अनुमति दी गई।

याचिकाकर्ताओं ने इस बदलाव को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि इससे उनके क्रिकेट करियर में अनुचित रूप से बाधा उत्पन्न हुई।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह निर्णय मनमाना था खासकर तब जब OCI को पहले भी प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी गई। उन्होंने इस तर्क के समर्थन में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला दिया कि इस तरह के बहिष्कार को NEET सहित तुलनीय संदर्भों में अनुचित पाया गया।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि युवा एथलीटों को घरेलू क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा करने का अवसर न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन है।

इस याचिका का विरोध करते हुए BCCI ने इस प्रस्ताव का बचाव करते हुए इसे भारतीय क्रिकेट के हित में लिया गया नीतिगत निर्णय बताया। उन्होंने कहा कि केवल भारतीय नागरिक ही राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करने के पात्र हैं। इसलिए राष्ट्रीय चयन के लिए माध्यम के रूप में इस्तेमाल होने वाले घरेलू क्रिकेट में भागीदारी तार्किक रूप से केवल भारतीय नागरिकों तक ही सीमित होनी चाहिए।

अपने आदेश में अदालत ने अंतरिम आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मांगी गई राहत प्रभावी रूप से मुख्य याचिका स्वीकार करने के समान होगी।

खंडपीठ ने कहा,

"इस समय हमें इस बात की पूरी जानकारी नहीं है कि इस तरह के आदेश का उन खिलाड़ियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, जो पहले से ही भारतीय नागरिक हैं।"

खंडपीठ ने आगे कहा,

"याचिकाकर्ताओं को घरेलू टूर्नामेंटों में भाग लेने की अनुमति देने से कुछ हद तक भारतीय नागरिकों को नुकसान होगा, जिन्हें आनुपातिक रूप से टीम में जगह नहीं मिलेगी।"

अदालत ने याचिकाकर्ताओं को संभावित राहत के लिए BCCI को अभ्यावेदन देने की अनुमति दी और क्रिकेट संस्था से मामले पर शीघ्र निर्णय लेने का आग्रह किया।

BCCI को इस तरह के अभ्यावेदन पर शीघ्र निर्णय लेने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि अंततः वे उन युवा बच्चों की आशाओं और आकांक्षाओं से निपट रहे हैं, जिनके बारे में हमारा मानना ​​है कि वे क्रिकेट में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। BCCI इस बात पर विचार कर सकता है कि क्या इन बच्चों को उनकी परिस्थितियों को देखते हुए कोई राहत प्रदान की जा सकती है।"

मामले पर अगली सुनवाई 17 अक्टूबर, 2025 होगी।

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