बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे स्थित फूड जॉइंट को बर्गर किंग ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करने की अनुमति देने वाले आदेश पर रोक लगाई

Update: 2024-12-03 06:36 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को एक स्थानीय कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई। साथ ही पुणे स्थित फूड जॉइंट को बर्गर किंग ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करने से रोक दिया, जिससे यूनाइटेड स्टेट्स फूड दिग्गज बर्गर किंग को राहत मिली।

जस्टिस अतुल चंदुरकर और जस्टिस राजेश पाटिल की खंडपीठ ने पुणे कोर्ट के फैसले के खिलाफ बर्गर किंग द्वारा दायर अपील स्वीकार करते हुए आदेश पर रोक लगाई।

यूएस फूड जॉइंट को राहत देते हुए जजों ने मौखिक रूप से कहा कि उनकी खंडपीठ आखिरी तथ्य-खोज कोर्ट होगी। यह स्पष्ट किया कि इस मामले से जुड़े पूरे सबूतों की फिर से जांच की जाएगी।

पीठ ने दोनों पक्षों को पिछले 10 वर्षों के अपने व्यावसायिक रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया।

उल्लेखनीय है कि पीठ ने 26 अगस्त को अंतरिम आदेश दिया था। पुणे कोर्ट के 16 जुलाई, 2024 के आदेश पर रोक लगाई, जिसमें शहर के लोकप्रिय फूड जॉइंट को बर्गर किंग ट्रेडमार्क का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।

ट्रायल कोर्ट ने पुणे फूड आउटलेट के मालिकों अनाहिता और शापूर ईरानी के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग करने वाली अमेरिकी कंपनी द्वारा दायर मुकदमे को भी खारिज कर दिया।

ट्रायल कोर्ट के समक्ष अमेरिकी कंपनी ने प्रस्तुत किया कि उसने 1954 में बर्गर किंग नाम से बर्गर बेचना शुरू किया। वर्तमान में यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी फास्ट फूड हैमबर्गर कंपनी है, जिसमें 100 देशों में 30,300 लोग कार्यरत हैं।

उन्होंने 2011 में एक मुकदमा दायर किया, जिसमें पुणे के भोजनालय के मालिकों द्वारा बर्गर किंग ट्रेडमार्क के उपयोग के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा और 20 लाख रुपये का हर्जाना मांगा गया।

2009 में भारत में ट्रेडमार्क पंजीकरण के लिए आवेदन करने पर अमेरिकी कंपनी को पता चला कि पुणे का भोजनालय पहले से ही बर्गर किंग नाम से काम कर रहा था।

हालांकि, पुणे के भोजनालय के मालिकों - प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि वे 1992 से ही इस व्यापार नाम का उपयोग कर रहे थे। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि वादी ने पंजीकरण के बाद से लगभग 30 वर्षों से भारत में इस ट्रेडमार्क का उपयोग नहीं किया।

मुकदमे में कोई दम न पाते हुए जिला न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादी भारत में विचाराधीन ट्रेडमार्क के पहले उपयोगकर्ता हैं और मुकदमा खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट के समक्ष बर्गर किंग का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता हिरेन कामोद ने तर्क दिया कि जनवरी 2012 से प्रतिवादियों के खिलाफ एक अंतरिम निषेधाज्ञा लागू है। हालांकि, जिला न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के बाद प्रतिवादियों ने विचाराधीन ट्रेडमार्क का उपयोग करना शुरू कर दिया।

हाईकोर्ट ने अब अपील स्वीकार कर ली है। इस मुद्दे पर उचित समय पर निर्णय लेने की संभावना है।

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