बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में पतंजलि आयुर्वेद पर लगाए गए 4 करोड़ के जुर्माने पर रोक लगाई

Update: 2024-12-17 06:04 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ एकल जज के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है जिसने कंपनी को मंगलम ऑर्गेनिक्स लिमिटेड द्वारा दायर ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले के संबंध में न्यायालय के अंतरिम आदेश का उल्लंघन करने के लिए 4 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था।

पतंजलि ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए अंतरिम आवेदन दायर किया जिसमें उसे पिछले आदेश द्वारा लगाए गए 50 लाख रुपये के अलावा 4 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया।

जस्टिस ए.एस. चंदुरकर और राजेश एस. पाटिल ने उल्लेख किया कि एकल जज ने पतंजलि पर जुर्माना लगाते समय CPC के आदेश 39 नियम 2ए के साथ धारा 151 के तहत निहित शक्तियों का इस्तेमाल किया था।

सीपीसी के आदेश 39 नियम 2ए में प्रावधान है कि निषेधाज्ञा की अवज्ञा या उल्लंघन के परिणामस्वरूप ऐसी अवज्ञा के दोषी व्यक्ति की संपत्ति कुर्क की जा सकती है और सिविल जेल में हिरासत का आदेश भी दिया जा सकता है।

इस प्रावधान का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा कि यह न्यायालय को निषेधाज्ञा आदेश की अवज्ञा करने पर जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं देता है।

“उक्त प्रावधान, प्रथम दृष्टया, न्यायालय को संहिता के आदेश XXXIX नियम 2ए के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते समय उक्त प्रावधान में उल्लिखित परिणामों के अतिरिक्त निषेधाज्ञा के आदेश की अवज्ञा करने वाले पक्ष पर जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं देता है।”

इस प्रकार न्यायालय का विचार था कि CPC के आदेश 39 नियम 2ए के तहत पतंजलि पर 4 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की अनुमति नहीं है।

उन्होंने कहा,

“आक्षेपित आदेश में अवमानना ​​को समाप्त करने के लिए प्रतिवादी को 50 लाख रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश देने के अलावा प्रतिवादी को दंडित करने और उसे संयुक्त रूप से और/या अलग-अलग वादी को 4 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया। प्रथम दृष्टया, संहिता के आदेश XXXIX नियम 2A के तहत अधिकार क्षेत्र के प्रयोग में जुर्माना लगाने को वैधानिक प्रावधानों से समर्थन नहीं मिलता है।”

न्यायालय ने आगे कहा कि आक्षेपित आदेश में यह संकेत नहीं दिया गया है कि जुर्माने की राशि किस तरह निर्धारित की गई।

उपरोक्त के मद्देनजर न्यायालय ने कहा कि पतंजलि ने अंतरिम राहत प्रदान करने के लिए प्रथम दृष्टया एक मजबूत मामला बनाया है।

इस प्रकार न्यायालय ने आक्षेपित आदेश के संचालन पर रोक लगाई।

पतंजलि द्वारा पहले से जमा किए गए 50 लाख रुपये के संबंध में न्यायालय ने कहा कि मंगलम द्वारा दावा किया गया हर्जाना 10 लाख रुपये था और इस तरह उसका हित सुरक्षित था। इसने कहा कि यह राशि सावधि जमा में निवेशित रहेगी और वाणिज्यिक अपील के अंतिम निर्णय का पालन करेगी।

इसके साथ ही न्यायालय ने अंतरिम आवेदन का निपटारा कर दिया।

केस टाइटल: पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड एवं अन्य बनाम मंगलम ऑर्गेनिक्स लिमिटेड एवं अन्य (अंतरिम आवेदन (एल) संख्या 26085/2024 वाणिज्यिक अपील (एसटी) संख्या 26060/2024 में)

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