पेट्रोलियम उत्पादों की अवैध हैंडलिंग जनता को प्रभावित करती है, यह निजी विवाद नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की अवैध हैंडलिंग और उनमें मिलावट से जुड़े अपराधों का सीधा असर सार्वजनिक सुरक्षा अर्थव्यवस्था और राज्य के राजस्व पर पड़ता है। इसलिए इन्हें पक्षों के बीच मात्र निजी विवाद के रूप में नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे अपराध सार्वजनिक जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्र को प्रभावित करते हैं और अग्रिम जमानत याचिकाओं पर विचार करते समय इन्हें अत्यंत गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
जस्टिस अमित बोरकर चेतन, राम गंगवानी और यश राम गंगवानी द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। ये दोनों भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धाराओं 287, 125, 3(5) और विशेष अधिनियमों के तहत दर्ज अपराध में आरोपी हैं। यह मामला सीमा शुल्क-बंधित गोदाम (Customs-Bonded Warehouse) से आठ टैंकरों की जब्ती से जुड़ा है, जिनमें मिलावटी डीज़ल पाया गया था।
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि यद्यपि पेट्रोलियम उत्पादों का व्यापार तीन कंपनियों के बीच दिखाया गया। हालांकि, ये सभी कंपनियां आरोपी यश गंगवानी से संबंधित एक ही ईमेल आईडी से जुड़ी हुई थीं। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि इससे पता चलता है कि एक कंपनी से दूसरी कंपनी को माल की बिक्री केवल एक छलावा थी और सभी लेनदेन एक ही व्यक्ति द्वारा किए जा रहे थे।
कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि अग्रिम जमानत के चरण में अदालत से मिनी-ट्रायल करने या प्रयोगशाला रिपोर्ट या अधिकारी के अधिकार के संबंध में सबूतों पर आपत्ति की जांच करने की उम्मीद नहीं की जाती है। इन मुद्दों का निर्णय ट्रायल के दौरान होगा। वर्तमान में यह देखना प्रासंगिक है कि क्या प्रथम दृष्टया सामग्री अपराध के कमीशन का संकेत देती है और क्या हिरासत में पूछताछ (Custodial Interrogation) आवश्यक है।
कोर्ट ने माना कि तीन अलग-अलग कंपनियों का एक ही सामान्य ईमेल आईडी से जुड़ा होना महज संयोग नहीं माना जा सकता। जब आस-पास की परिस्थितियों को एक साथ देखा जाता है तो एकमात्र उचित निष्कर्ष यही निकलता है कि आयातित पेट्रोलियम उत्पादों को उनके वास्तविक स्वरूप को छिपाने और 'प्रोसेस ऑयल' की आड़ में मिलावटी ईंधन का कारोबार करने के लिए डायवर्ट किया गया।
न्यायालय ने कहा,
"आवेदकों ने आयातित माल को विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से रूट करके लेनदेन को वैधता का रंग देने का प्रयास किया। इस तरह के कागजी लेनदेन पेश करने का आवेदकों का आचरण स्पष्ट और पारदर्शी स्पष्टीकरण देने के बजाय अपराध में उनकी संलिप्तता के बारे में गंभीर संदेह पैदा करता है।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि अग्रिम जमानत एक असाधारण राहत है, जिसे तभी दिया जाना चाहिए, जब अदालत को लगे कि आरोप स्पष्ट रूप से झूठे या दुर्भावनापूर्ण हैं।
खंडपीठ ने जोर दिया,
“पेट्रोलियम और उसके उपोत्पाद परिवहन, उद्योग और दैनिक जीवन की रीढ़ हैं। उनके संचालन या वितरण में किसी भी अवैधता का सीधा प्रभाव सार्वजनिक सुरक्षा राष्ट्र की अर्थव्यवस्था और राज्य के वैध राजस्व पर पड़ता है इस प्रकार इसका प्रभाव व्यापक और गंभीर है।”
प्रथम दृष्टया सामग्री आरोपों की गंभीरता और चल रही जांच को देखते हुए कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि आरोपी अग्रिम जमानत की असाधारण सुरक्षा के हकदार नहीं थे।