अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का दावा केवल मौजूदा नीति के अनुसार किया जा सकता है, अधिकार के रूप में नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

Update: 2024-05-09 14:53 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट जस्टिस अविनाश जी. घरोटे और जस्टिस एम. एस. जावलकर की खंडपीठ ने एक रिट याचिका पर फैसला सुनाया। आशा डब्ल्यूडी/ओ हरिदास कटवाले और अन्य बनाम प्रबंधक (खान), मैसर्स वेस्टर कोलफील्ड्स लि भद्रावती एवं अन्य मामले में हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है कि अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति का दावा केवल विद्यमान नीति के अनुसार ही किया जा सकता है न कि अधिकार के रूप में

मामले की पृष्ठभूमि:

याचिकाकर्ता आशा के पति श्री हरिदास कटवले, मैसर्स वेस्टर कोलफील्ड्स लिमिटेड (प्रतिवादी) के साथ एक पंप ऑपरेटर के रूप में कार्यरत थे। श्री हरिदास काटवाले दिनांक 10092012 से लगातार ड्यूटी से अनुपस्थित हैं और परिणामस्वरूप अनुपस्थिति के कारण दिनांक 18102014 को उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। ड्यूटी से उनकी अनुपस्थिति के कारण एक सिविल कोर्ट ने 06.12.2022 को उनकी सिविल मृत्यु की घोषणा की। नागरिक मृत्यु की घोषणा के बाद, याचिकाकर्ता ने याचिकाकर्ता नंबर 2 और 3 के लिए अनुकंपा नियुक्ति की मांग की, जो मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी थे।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अनुपस्थिति के आधार पर श्री हरिदास कटवाले की सेवाओं की समाप्ति, नागरिक मृत्यु की घोषणा के आलोक में योग्यता के बिना थी। इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया कि इसी तरह के मामलों और केंद्रीय सरकार औद्योगिक न्यायाधिकरण-सह-श्रम अदालतों द्वारा एक निर्धारण के आधार पर, कानूनी उत्तराधिकारी अनुकंपा नियुक्ति के हकदार थे।

प्रतिवादी ने अन्य बातों के साथ-साथ तर्क दिया कि श्री हरिदास कटवाले की सेवाओं को समाप्त करने का आदेश एक जांच का परिणाम था और नागरिक मृत्यु की घोषणा के आधार पर पूछताछ नहीं की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, ऐसी कोई नीति नहीं है जो बर्खास्त कर्मचारी के कानूनी उत्तराधिकारियों को अनुकंपा के आधार पर रोजगार प्राप्त करने की अनुमति देती हो। प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता के तर्क के खिलाफ भी तर्क दिया कि समाप्ति योग्यता के बिना थी क्योंकि श्री हरिदास कटवाले लगातार ड्यूटी से अनुपस्थित थे।

कोर्ट का निर्णय:

कोर्ट ने पाया कि श्री हरिदास कटवाले की सेवाओं की समाप्ति अनुपस्थिति के कारण हुई थी, क्योंकि वह ड्यूटी से लगातार अनुपस्थित रहे थे और अनुपस्थिति के आधार पर समाप्ति कानून के तहत स्वीकार्य है। इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने दिनांक 09122013 की नीति की जांच की जो समाप्ति के समय लागू थी और पाया कि इसमें बर्खास्त कर्मचारियों के कानूनी उत्तराधिकारियों की अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का प्रावधान नहीं है। इसके अतिरिक्त, नीति में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि लापता कर्मचारियों के आश्रितों के रोजगार पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा, कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अनुकंपा नियुक्ति का दावा केवल मौजूदा नीति के अनुसार किया जा सकता है, न कि अधिकार के रूप में।

नतिजतन, कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

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