बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोल्हापुर के विशालगढ़ किले में सांप्रदायिक हिंसा के कारण ध्वस्तीकरण अभियान पर रोक लगाई

Update: 2024-07-19 11:11 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कोल्हापुर के विशालगढ़ किले में करीब 70 इमारतों को ध्वस्त करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई की, जहां 14 जुलाई को दो समूहों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी।

अदालत को बताया गया कि 14 जुलाई को विशालगढ़ किले में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई और 15 जुलाई से ही राज्य के लोक निर्माण विभाग (PWD) ने अशांत क्षेत्र में घरों दुकानों आदि को गिराने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।

महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि वह केवल व्यावसायिक ढांचों को गिरा रही है, जो किसी न्यायालय के आदेश द्वारा संरक्षित नहीं हैं।

जस्टिस बर्गेस कोलाबावाला और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने इस पर राज्य को आदेश दिया कि वह किसी भी ढांचों को न गिराए, चाहे वह व्यावसायिक हो या घरेलू। खंडपीठ ने राज्य को बरसात के मौसम में विध्वंस प्रक्रिया शुरू करने के लिए भी फटकार लगाई जो राज्य की अपनी अधिसूचना के विरुद्ध है।

खंडपीठ ने आदेश दिया,

"आप बरसात के मौसम में ढांचों को कैसे गिरा सकते हैं? हम यह स्पष्ट करते हैं कि कोई भी ढांचा चाहे वह व्यावसायिक हो या घरेलू, अगले आदेश तक नहीं गिराया जाना चाहिए।"

राज्य के मुख्य सरकारी वकील प्रियभूषण काकड़े ने न्यायालय को बताया कि राज्य केवल व्यावसायिक ढांचों को गिरा रहा है, जो किसी भी न्यायालय के स्थगन आदेश द्वारा संरक्षित नहीं हैं।

खंडपीठ ने कहा कि वे उक्त बयान को दर्ज करेंगे और यदि कोई उल्लंघन होता है तो वे संबंधित अधिकारियों को पकड़ेंगे।

जस्टिस कोलाबावाला ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा,

"हम आपका बयान दर्ज करते हैं और यदि कोई उल्लंघन होता है तो हम आपके अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। हम संबंधित अधिकारियों को जेल में डालने में भी संकोच नहीं करेंगे।"

इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एडवोकेट सुनील तालेकर ने जजों को हिंसा का वीडियो दिखाया, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि यह पूर्व सांसद (MP) संभाजी राजे छत्रपति के कॉल के बाद हुआ था, जिन्होंने कथित तौर पर अपने अनुयायियों और दक्षिणपंथी समूहों से विशालगढ़ किला क्षेत्र को मुसलमानों द्वारा कथित अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए कहा था।

उन्होंने तर्क दिया कि लाठी, हथौड़े आदि से लैस दक्षिणपंथी समूहों ने खुद को शिवभक्त बताया और किले के क्षेत्र में ही गाजापुर में रजा सुनील जामा मस्जिद को ध्वस्त करने का प्रयास किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी मूकदर्शक बनकर खड़े रहे। दृश्य देखने के बाद पीठ ने काकड़े से जानना चाहा कि हिंसा के संबंध में क्या कार्रवाई की गई।

"यह क्या है? ये लोग कौन हैं?" जस्टिस कोलाबवाला ने काकड़े से पूछा, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें नहीं पता कि याचिकाकर्ता न्यायाधीशों को क्या दिखा रहा है, क्योंकि तालेकर ने राज्य को कुछ भी नहीं दिया।

खंडपीठ ने कहा,

"वे स्पष्ट रूप से आपके अधिकारी नहीं हैं। लेकिन एक राज्य के रूप में आपके पास कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है। यहां कानून और व्यवस्था कहां है? हम जानना चाहते हैं कि क्या कोई एफआईआर दर्ज की गई या कोई कार्रवाई की गई।”

इसलिए इसने विशालगढ़ में शाहूवाड़ी पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस निरीक्षक को 29 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित रहने और यह बताने का आदेश दिया कि हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।

इस मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी।

केस टाइटल- सलाउद्दीन हबीब शाह बनाम महाराष्ट्र राज्य (WP/2699/2023)

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