मेलघाट में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर सख़्त बॉम्बे हाईकोर्ट, शीर्ष अधिकारियों को ज़मीनी दौरे का आदेश

Update: 2025-11-26 06:44 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के मेलघाट सहित आदिवासी इलाक़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी को लेकर दाख़िल पुरानी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों को 5 दिसंबर को क्षेत्र का दौरा करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से ज़मीनी हालात का आकलन कर विस्तृत रिपोर्ट 18 दिसंबर तक दाख़िल करनी होगी।

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस सन्देश दत्तात्रेय पाटिल की खंडपीठ वर्ष 2007 से लंबित उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मेलघाट सहित महाराष्ट्र के कई आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों की मौतों को अपर्याप्त चिकित्सा सेवाओं से जोड़ा गया।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने बताया कि क्षेत्र में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है, जबकि वर्षों से जारी आदेशों के बावजूद स्थिति में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ। इस पर राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव निपुण विनायक ने अदालत को बताया कि वे स्वयं, आदिवासी विकास और महिला व बाल विकास विभाग के प्रधान सचिवों के साथ 5 दिसंबर को मेलघाट का दौरा करेंगे और वहां की वास्तविक स्थिति का आकलन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं को दौरे के बारे में सूचित किया जाएगा ताकि वे भी साथ रहकर समस्याओं की वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत कर सकें।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि विनायक के साथ लोक निर्माण विभाग व वित्त विभाग के उप सचिव स्तर के अधिकारी जल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारी, प्रोजेक्ट अधिकारी मेलघाट, अमरावती ज़िला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा वन विभाग के सीनियर अधिकारी भी इस दौरे में शामिल हों ताकि स्वास्थ्य, पोषण आधारभूत ढाँचे और प्रशासनिक स्तर पर मौजूद सभी समस्याओं की समग्र समीक्षा की जा सके।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अनूप गिल्डा ने अदालत को बताया कि मेलघाट में विशेषज्ञ चिकित्सकों जैसे कि बाल रोग विशेषज्ञ, ग्यानाकोलॉजिस्ट, डॉक्टर, रेडियोलॉजिस्ट और पैथोलॉजिस्ट की नियमित नियुक्ति अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बजट स्वीकृति बढ़ाने, नर्सों और अन्य कर्मचारियों की तत्काल नियुक्ति, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में बिजली और सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने एक से छह वर्ष के बच्चों तथा गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गुणवत्ता वाला पोषण उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।

एक अन्य याचिकाकर्ता ने अमरावती ज़िले की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि धरणी में उप-जिला अस्पताल में सर्जनों और डॉक्टरों के 38 पद रिक्त हैं, जिस कारण अप्रैल से अक्टूबर 2025 तक 35 बच्चों की मौत और 22 मृत-जन्म की घटनाएं दर्ज हुईं। चिखलदरा के ग्रामीण अस्पताल में न तो बाल रोग विशेषज्ञ हैं और न ही स्त्री रोग विशेषज्ञ, और सोनोग्राफी सप्ताह में केवल एक दिन होती है जबकि यह अस्पताल 40 गांवों को कवर करता है।

उन्होंने यह भी बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज अमरावती को पर्याप्त धन नहीं दिया गया, जिसके चलते अगस्त, 2025 में सुपर-विशलिटी डॉक्टरों ने हड़ताल की थी। एम्बुलेंस चालकों को भी अनुमोदित वेतन से काफ़ी कम राशि मिल रही है, क्योंकि निजी एजेंसियां बड़ा हिस्सा काट लेती हैं।

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे ने कहा कि जब नियुक्तियां एजेंसियों के माध्यम से होती हैं तो लाभार्थियों को कम वेतन मिलता है और बिचौलिये अधिक लाभ लेते हैं। उन्होंने कहा कि विभागों को यह सुनिश्चित करना होगा कि अधिकतम लाभ सीधे कर्मचारियों तक पहुँचे।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि अप्रैल से अक्टूबर, 2025 के बीच मेलघाट में 97 बच्चों की मौत 30 मृत-जन्म और तीन मातृ मृत्यु हुई हैं। क्षेत्र में चल रहे कई आंगनवाड़ी केन्द्र 1975 में बने थे और अब जर्जर हालत में हैं, जबकि बढ़ती ज़रूरतों के लिए कोई नया बजट आवंटित नहीं किया गया।

अदालत ने कहा कि सभी मुद्दों का समयबद्ध समाधान अत्यावश्यक है और अधिकारियों का यह दौरा समस्याओं की वास्तविक स्थिति समझने के लिए महत्वपूर्ण होगा। मामला अगले महीने फिर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।

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