नाबालिग बलात्कार पीड़िता पर नहीं थोपी जा सकती अनचाही' गर्भावस्था: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय लड़की को 29 सप्ताह के गर्भपात की दी अनुमति
यह देखते हुए कि वह बलात्कार पीड़िता को उसके अनचाहे गर्भ को धारण करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने हाल ही में नाबालिग लड़की को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत उसके लगभग 29 सप्ताह के भ्रूण को गिराने की अनुमति दी।
जस्टिस नितिन साम्ब्रे और जस्टिस सचिन देशमुख की खंडपीठ ने कहा कि लड़की को गर्भावस्था जारी रखने के लिए मजबूर करके राज्य उसके जीवन का मार्ग निर्धारित करने के अधिकार को छीन रहा है।
जजों ने 17 जून को पारित आदेश में कहा,
"यह न्यायालय पीड़िता को उसकी इच्छा के विरुद्ध गर्भधारण करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता, क्योंकि ऐसी स्थिति में राज्य उसके जीवन के तात्कालिक और दीर्घकालिक मार्ग को निर्धारित करने के अधिकार से उसे वंचित कर देगा। हमें इस तथ्य के प्रति भी समान रूप से संवेदनशील होने की आवश्यकता है कि महिला अपनी वैवाहिक स्थिति के बावजूद अपनी इच्छा से गर्भवती हो सकती है। हालांकि अवांछित या आकस्मिक गर्भावस्था के मामले में बोझ हमेशा गर्भवती महिला/पीड़ित पर पड़ता है।"
पीड़िता द्वारा अपने माता-पिता के माध्यम से दायर याचिका के अनुसार उसके अपने चचेरे चाचा ने उसका यौन शोषण किया था और यह बात उसके गर्भवती होने के बाद ही सामने आई। इस संबंध में आरोपी चाचा के खिलाफ 5 जून, 2025 को FIR दर्ज की गई। उसके याचिका दायर करने पर पीठ ने पिछली सुनवाई में एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया था
मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की,
"गर्भावस्था को समाप्त करने की प्रक्रिया उसकी उम्र और भ्रूण की गर्भकालीन आयु को देखते हुए उच्च जोखिम वाली है। माता-पिता की उच्च जोखिम सहमति और रोगी की सहमति से हिस्टेरोटॉमी की जा सकती है।"
खंडपीठ ने नोट किया कि पीड़िता और उसके माता-पिता दोनों ने भ्रूण को गिराने के लिए ATP Act के तहत प्रक्रिया के लिए सहमति दी। इसलिए उसकी गर्भावस्था को मेडिकल रूप से समाप्त करने की अनुमति दी।
जजों ने कहा,
"मामले को देखते हुए और इस तथ्य पर विचार करते हुए कि याचिकाकर्ता को कोई जीवन खतरा नहीं है, जैसा मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रमाणित किया गया, हम डीन, सरकारी मेडिकल कॉलेज अकोला को निर्देश देना उचित समझते हैं कि वे याचिकाकर्ता को सुरक्षा प्रोटोकॉल का सहारा लेकर और उपरोक्त टिप्पणियों का अनुपालन करके जल्द से जल्द गर्भावस्था को चिकित्सा रूप से समाप्त करने की अनुमति दें।"
इन टिप्पणियों के साथ पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया।
केस टाइटल: XYZ नाबालिग अपने प्राकृतिक संरक्षक पिता के माध्यम से बनाम भारत संघ (रिट याचिका 3027/2025)