सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप: हाईकोर्ट ने मनोज जरांगे से पूछा, क्या आपने प्रदर्शनकारियों को भड़काया?
मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान मुंबई में सार्वजनिक संपत्ति को कथित नुकसान पहुंचाने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को बड़ा आदेश दिया। अदालत ने आंदोलन के नेता मनोज जरांगे और अन्य आयोजकों से हलफनामा दायर करने को कहा कि क्या उन्होंने प्रदर्शनकारियों को उकसाया था या नहीं।
एक्टिंग चीफ जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस आरती साठे की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में गंभीर आरोप लगे हैं और बिना हलफनामे के याचिका का निस्तारण संभव नहीं।
अदालत ने कहा,
“आप हलफनामे में स्पष्ट करें कि आप किसी भी नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं और न ही आपने प्रदर्शनकारियों को भड़काया।”
जरांगे की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सतीश मानशिंदे ने आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि जिन तस्वीरों का हवाला दिया जा रहा है, वे पुरानी हैं। इस बार किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ।
इस पर जस्टिस साठे ने कहा कि पुलिसकर्मियों के घायल होने की तस्वीरें मौजूद हैं।
अदालत ने आठ सप्ताह का समय देते हुए जरांगे व अन्य आयोजकों से जवाब दाखिल करने को कहा।
गौरतलब है कि जरांगे 29 अगस्त से आज़ाद मैदान में अनशन पर बैठे हैं। उन्होंने मराठा समाज को सरकारी नौकरियों व शिक्षा में ओबीसी श्रेणी के तहत 10% आरक्षण की मांग की। इससे पहले, मंगलवार को भी हाईकोर्ट ने आंदोलनकारियों के मैदान खाली न करने पर राज्य सरकार और जरांगे दोनों की कड़ी खिंचाई की थी।
केस टाइटल: ए एम वाई फाउंडेशन बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य