बॉम्बे हाईकोर्ट ने BNS और ST/ST Act के तहत दर्ज मामले में अपीलकर्ता को दी अंतरिम राहत

Update: 2025-10-08 14:50 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए मुकेश लल्लू प्रसाद यादव को अग्रिम जमानत के रूप में अंतरिम संरक्षण प्रदान किया। यह आदेश सी.आर. नं. 57/2025 के संदर्भ में पारित हुआ, जो वंगांव पुलिस स्टेशन, पालघर (महाराष्ट्र) में भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC/ST Act) के अंतर्गत दर्ज किया गया।

जस्टिस एस. एम. मोडक की खंडपीठ ने यह आदेश क्रिमिनल अपील क्रमांक 969/2025 में पारित किया।

सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता की ओर से एडवोकेट गौरव लेले, एडवोकेट आशुतोष दुबे और एडवोकेट मालवी काटकर उपस्थित रहे।

राज्य की ओर से अपर सरकारी वकील (APP) एच. जे. देधिया उपस्थित थे। वहीं वाणगाँव पुलिस स्टेशन के पीएसआई उस्मान पठान पेश हुए।

प्राप्त विवरण के अनुसार, इस मामले में पहले नॉन-कॉग्निजेबल रिपोर्ट (N.C.) दर्ज हुई, जिसमें मुकेश यादव का नाम शामिल नहीं था। बाद में दर्ज FIR में उन्हें सहआरोपी के रूप में दर्शाया गया।

हालांकि, हाईकोर्ट ने यह ध्यान में लिया:

- अपीलकर्ता के विरुद्ध किसी भी प्रकार की जातिसूचक टिप्पणी या अभद्र व्यवहार का आरोप नहीं लगाया गया।

-सीसीटीवी फुटेज में अपराध स्थल पर अपीलकर्ता की मौजूदगी साबित नहीं होती।

- अपीलकर्ता का नाम प्रारंभिक शिकायत में न होना और केवल बाद में जोड़ा जाना संदेहास्पद परिस्थितियों की ओर संकेत करता है।

इन तथ्यों के बावजूद, सेशन कोर्ट से इनामदार चौधरी ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका अस्वीकार की थी। इसके विरुद्ध अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था।

सभी पक्षकारों की सुनवाई के बाद अदालत ने यह माना कि मामले में प्रथम दृष्टया परिस्थितियां आरोपी के पक्ष में हैं और उसे अंतरिम संरक्षण दिए जाने की आवश्यकता है।

अदालत ने निम्न निर्देश जारी किए:

1. यदि अपीलकर्ता की गिरफ्तारी की जाती है तो उसे ₹25,000/- के निजी मुचलके और एक या अधिक जमानतदारों पर रिहा किया जाए।

2. अपीलकर्ता को 7 अक्टूबर, 2025 और 9 अक्टूबर, 2025 को सुबह 10:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक वाणगाँव पुलिस स्टेशन में उपस्थिति दर्ज करानी होगी।

3. शिकायतकर्ता (प्रतिवादी नंबर 2) को नोटिस जारी कर 16 अक्टूबर, 2025 को उत्तर दाखिल करने हेतु तिथि तय की गई।

4. अगले आदेश तक अपीलकर्ता के खिलाफ अंतिम कार्रवाई पर रोक रहेगी।

यह आदेश भारतीय न्याय संहिता, 2023 के लागू होने के बाद का प्रारंभिक न्यायिक निर्णय माना जा रहा है, जिसमें अदालत ने BNS के प्रावधानों के साथ-साथ SC/ST Act की धाराओं का जॉइंट ट्रायल किया।

यह निर्णय महत्वपूर्ण इसलिए भी है, क्योंकि SC/ST Act के मामलों में अग्रिम जमानत सामान्यतः वर्जित होती है, किन्तु अदालत ने यह माना कि यदि प्रथम दृष्टया आरोपों में पर्याप्त बल न हो तो आरोपी को अस्थायी सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।

इस आदेश से भविष्य में ऐसे मामलों में न्यायालयीन दृष्टिकोण और कानूनी व्याख्या को दिशा मिलने की संभावना है, विशेषकर तब जब नवीन भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अंतर्गत दर्ज मामलों का परीक्षण आरंभिक चरण में हो।

लेखक- एडवोकेट आशुतोष दुबे, बॉम्बे हाईकोर्ट।

Tags:    

Similar News