बॉम्बे हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता महिला को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने वाले पुलिसकर्मी पर नाराजगी जताई, उसके खिलाफ जांच के आदेश दिए
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार (6 जनवरी) को एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर (PSI) के खिलाफ जांच का आदेश दिया, जिसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म - फेसबुक पर शिकायतकर्ता महिला को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी। जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने शिकायतकर्ता महिला को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने के पीछे PSI के मकसद पर सवाल उठाए।
सुनवाई के दरमियान जस्टिस मोहिते डेरे ने कोर्ट रूम में मौजूद PSI से पूछा, "आप आधी रात को एक महिला को फ्रेंड रिक्वेस्ट कैसे भेज सकते हैं? आप एक महिला को सोशल मीडिया पर फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट कैसे भेज सकते हैं, जो उस मामले में शिकायतकर्ता है जिसकी आप जांच कर रहे हैं?"
जिसके जवाब में अधिकारी ने कहा कि यह "गलती से" हुआ था। इस पर, जस्टिस मोहिते-डेरे ने कहा, "उन्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने का आपका क्या काम है? हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।" इसके बाद पीठ ने अधिकारी का पदनाम जानना चाहा और तदनुसार अतिरिक्त लोक अभियोजक प्राजक्ता शिंदे ने न्यायाधीशों को सूचित किया कि अधिकारी पीएसआई है और यह उसकी पहली पोस्टिंग है।
जिस पर पीठ ने पूछा, "क्या? वह पीएसआई है? फिर उसे सोशल मीडिया के लिए समय कैसे मिलता है। पीएसआई होने के नाते वह (पुलिस) थाने में सबसे व्यस्त अधिकारी होगा। और यह उसकी पहली पोस्टिंग है और वह यह कर रहा है। कल्पना कीजिए कि भविष्य में वह क्या करेगा।"
इसलिए पीठ ने जानना चाहा कि क्या पुलिस अधिकारी सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं।
"क्या इन अधिकारियों को सोशल मीडिया का उपयोग करने या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहने की अनुमति है?" जस्टिस मोहिते-डेरे ने यह सवाल पूछा, जिस पर अतिरिक्त लोक अभियोजक विट्ठल कोंडे-देशमुख ने नकारात्मक जवाब दिया।
इसलिए, पीठ ने क्षेत्रीय पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को पीएसआई के खिलाफ उचित जांच शुरू करने और उसके आचरण पर विचार करने के बाद कार्रवाई करने का आदेश दिया। पीठ एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने मुंबई के कांदिवली में समता नगर पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत में उचित जांच के लिए निर्देश मांगे थे।
याचिकाकर्ता महिला के अनुसार, उसका और उसके पति का वैवाहिक विवाद था और इसलिए, वह घाटकोपर में अलग रह रही थी। दंपति की बेटी कांदिवली में किराए के अपार्टमेंट में रहती थी।
अगस्त 2024 में, जब बेटी घाटकोपर में याचिकाकर्ता के साथ रह रही थी, क्योंकि उसकी (बेटी) न्यूरोलॉजिकल सर्जरी/उपचार चल रहा था, तो आरोप है कि याचिकाकर्ता के पति ने कुछ लोगों को भेजकर बेटी का सामान उक्त किराए के फ्लैट से हटवा दिया।
याचिकाकर्ता के अनुसार, लगभग 15 लाख रुपये नकद और उसके सोने और हीरे के कई आभूषण बेटी के फ्लैट में रखे थे, लेकिन वर्तमान में वे वहां नहीं हैं और इसलिए उसने चोरी के आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज करने और उसका बयान दर्ज करने के लिए समता नगर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों को कई पत्र लिखे।
हालांकि, जब कोई प्रगति नहीं हुई, तो उसने स्थानीय पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने के लिए मुंबई के पुलिस आयुक्त को निर्देश देने के लिए HC में याचिका दायर की।
हालांकि, सोमवार को जब मामला सामने आया, तो याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कंथारिया और शुभदा साल्वी ने पीठ को सूचित किया कि पीएसआई ने कई मौकों पर देर रात उनके मुवक्किल को फोन करके उनसे बयान दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन आने को कहा। हालांकि, जब संबंधित पीएसआई ने उसे बुलाया, तो याचिकाकर्ता स्टेशन नहीं गई।
हालांकि, रविवार (5 जनवरी) की देर रात पीएसआई द्वारा याचिकाकर्ता को भेजे गए फ्रेंड रिक्वेस्ट के प्रिंटआउट को देखकर न्यायाधीश नाराज़ हो गए। पीठ ने अब सुनवाई एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है, ताकि डीसीपी पीएसआई के खिलाफ कार्रवाई कर सके।