इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप के खिलाफ उपभोक्ता शिकायत पर कार्यवाही पर रोक लगाई, UPSCDRC के आदेश को दी गई चुनौती पर नोटिस जारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेटा के स्वामित्व वाले इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (UPSCDRC) के उस आदेश को चुनौती दी गई। इसमें कहा गया कि चूंकि व्हाट्सएप भारत में अपने उपयोगकर्ताओं' को 'सेवाएं प्रदान करता है, इसलिए उसके खिलाफ उपभोक्ता शिकायत स्वीकार्य होगी।
जस्टिस पंकज भाटिया की एकल पीठ ने प्रतिवादी अमिताभ ठाकुर को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
साथ ही न्यायालय ने निर्देश दिया कि अगले आदेश तक UPSCDRC के विवादित आदेश के तहत आगे की कार्यवाही स्थगित रहेगी।
मामले की पृष्ठभूमि:
UPSCDRC ने अपने विवादित आदेश में यह माना कि व्हाट्सएप के खिलाफ उपभोक्ता शिकायत स्वीकार्य है। लखनऊ जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा शिकायत खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया।
साथ ही आयोग को निर्देश दिया कि वह शिकायत को उपभोक्ता शिकायत के रूप में दर्ज कर 90 दिन की समय सीमा में तय कर मुआवजे पर निर्णय ले।
यह आदेश पूर्व आईपीएस अधिकारी और आज़ाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर द्वारा दायर दो अपीलों पर पारित हुआ था।
ठाकुर का आरोप था कि उनके व्हाट्सएप सेवा छह घंटे तक बाधित रही, जिससे सेवा की शर्तों का उल्लंघन हुआ।
जिला मंच में शिकायत: ठाकुर ने इस आधार पर मुआवज़ा मांगा कि इस अवधि में उनके कार्यों पर असर पड़ा। परंतु जिला आयोग ने यह कहते हुए शिकायत खारिज कर दी कि व्हाट्सएप एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी है। ठाकुर ने कोई भुगतान नहीं किया है। अतः वे उपभोक्ता नहीं माने जा सकते।
UPSCDRC ने इस आदेश को खारिज कर दिया, जिसे अब व्हाट्सएप ने संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत हाईकोर्ट में चुनौती दी।
व्हाट्सएप का पक्ष:
याचिका में कहा गया कि चूंकि व्हाट्सएप एक निःशुल्क सेवा और उपयोगकर्ताओं से कोई वित्तीय प्रतिफल (consideration) नहीं लिया जाता, इसलिए उपयोगकर्ता उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते और उनके द्वारा दायर शिकायतें उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत स्वीकार्य नहीं हैं।
कहा गया,
"यह निर्विवाद है कि प्रतिवादी ने व्हाट्सएप सेवा के लिए कोई भुगतान नहीं किया, जिससे उनका दावा अधिनियम के तहत अयोग्य हो जाता है। यह कानूनन स्थापित है कि नि:शुल्क सेवाएं CPA के दायरे में नहीं आती हैं।"
याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि जब जिला आयोग के पास इस मामले को सुनने का अधिकार ही नहीं है तो UPSCDRC का आदेश उसे ऐसा करने का निर्देश देना अधिकार का अनुचित प्रयोग है।
साथ ही आदेश में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया गया, क्योंकि यह सोचे-समझे बिना पारित किया गया और पर्याप्त कारणों का अभाव है।
"UPSCDRC का आदेश CPA की स्पष्ट भाषा और सुप्रीम कोर्ट व उच्च न्यायालयों के बाध्यकारी निर्णयों की अनदेखी करता है।"
याचिका में यह भी चुनौती दी गई कि UPSCDRC ने केवल इसलिए व्हाट्सएप उपयोगकर्ताओं को उपभोक्ता मान लिया, क्योंकि व्हाट्सएप का उद्देश्य ग्राहकों को आकर्षित करना है।
याचिका में कहा गया
"कानून में इसका कोई आधार नहीं है। यदि UPSCDRC की व्याख्या को स्वीकार कर लिया जाए तो 'उपभोक्ता' की परिभाषा अर्थहीन हो जाएगी। कोई भी सेवा प्रदाता जो नि:शुल्क सेवाएं देता है, वह अधिनियम के तहत आ जाएगा।”
टाइटल: व्हाट्सएप बनाम अमिताभ ठाकुर एवं अन्य