इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्माण के खिलाफ याचिका दायर करने वाले वकील के नए चैंबर ब्लॉक में प्रवेश पर रोक लगाई

Update: 2024-08-21 06:24 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वकील पर 40,000 रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था। उक्त वकील ने हाईकोर्ट परिसर में बनने वाले नए पार्किंग और वकील चैंबर ब्लॉक के निर्माण में शामिल लार्सन एंड टुब्रो के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी।

जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा,

“अब ठेकेदारों/बिल्डरों पर अनुचित दबाव डालने के लिए तुच्छ जनहित याचिकाएं दायर करना चलन बन गया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट और इस न्यायालय ने कई बार इस प्रथा की निंदा की है और ऐसे लोगों पर कठोर दंड लगाने का निर्देश दिया है, जो अनावश्यक विचारों और गुप्त उद्देश्यों के लिए जनहित याचिका दायर करते हैं। इस तरह की तुच्छ याचिकाओं पर अंकुश लगाने के लिए इस तरह के मुकदमेबाजी को हतोत्साहित करने के लिए दंड लगाना अनिवार्य है। इस तरह की परेशान करने वाली कार्यवाही को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अगर कोई ऐसा करता है तो ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। यह आदर्श मामला है, जहां याचिकाकर्ता पर कठोर दंड लगाया जाना चाहिए।”

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि एलएंडटी द्वारा उक्त निर्माण के लिए सोली खनन किया जा रहा था, जो खनन विभाग से अनुमति लिए बिना और किसी भी पर्यावरणीय मंजूरी प्रमाण पत्र के बिना अवैध रूप से किया जा रहा था। यह तर्क दिया गया कि परियोजना में स्थायी विकास को ध्यान में नहीं रखा गया।

तदनुसार, यह प्रार्थना की गई कि एलएंडटी के खिलाफ जांच शुरू करने और कंपनी को काली सूची में डालने के लिए परमादेश जारी किया जाए।

प्रतिवादी के वकील ने जनहित याचिका दायर करने में याचिकाकर्ता की साख पर आपत्ति जताई। यह तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने पहले भी समान याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। यह तर्क दिया गया कि इसी तरह के मामले में एक अलग याचिकाकर्ता के साथ मुकदमा चल रहा था।

कोर्ट ने देखा कि PIL पहले की PIL के खारिज होने के 2 महीने बाद और पहले की PIL के विवरण का खुलासा किए बिना दायर की गई थी। यह देखा गया कि याचिकाकर्ता ने बुरी नियत से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

न्यायालय ने कहा,

“याचिकाकर्ता का आचरण ईमानदार नहीं था। वह इस न्यायालय में साफ नियत से नहीं आया था। जाहिर है पूरी याचिका किसी के कहने पर दायर की गई, बस वकीलों के लिए चैंबर-कम-पार्किंग के निर्माण को रोकने के लिए।”

PIL खारिज करते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर 40000 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे बाद में वापस ले लिया गया। इसके अलावा निर्देश जारी किया गया कि न तो याचिकाकर्ता और न ही उनके वकील आदित्य सिंह को नए चैंबर ब्लॉक में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि वे इसके निर्माण का विरोध कर रहे थे।

केस टाइटल- संतोष कुमार पांडे बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 2 अन्य

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