OTS स्कीम समयबद्ध, उधारकर्ता को विस्तार मांगने का कोई अधिकार नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए यह साफ़ कर दिया कि हर वन टाइम सेटलमेंट (OTS) स्कीम समयबद्ध होती है और उधारकर्ता को इसकी समयसीमा बढ़ाने का कोई वैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं होता।
जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस समय की, जब M/s Jaharveer Maharaj Agro Pvt. Ltd. द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की जा रही थी।
याचिकाकर्ताओं ने वर्ष 2017 में पंजाब नेशनल बैंक से लोन लिया था और खाते एनपीए घोषित हो गए। इसके बाद उन्होंने OTS स्कीम का लाभ लेने के लिए आवेदन किया, जिसे बैंक ने 10 मई 2023 को SOTS 2022-23 के अंतर्गत स्वीकृत किया। स्कीम में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि अधिकतम भुगतान अवधि 180 दिन होगी।
याचिकाकर्ता इस अवधि में भुगतान करने में असफल रहे। नतीजतन बैंक ने 25 अप्रैल 2024 को OTS रद्द कर दिया और इसके बाद बंधक संपत्तियों की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी।
दिसंबर, 2024 में संपत्तियों की नीलामी की गई और 27 जनवरी 2025 को एक संपत्ति की बिक्री पूरी हुई, जिसके लिए 2 फरवरी 2025 को बिक्री प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया गया।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि OTS अब भी जीवित है, क्योंकि स्वीकृति पत्र में समयसीमा का कोई उल्लेख नहीं किया गया, इसलिए बैंक बाध्य था कि वह पुनर्भुगतान अवधि बढ़ाए।
इस तर्क को अदालत ने सिरे से खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि स्वीकृति पत्र में भले ही समयसीमा का उल्लेख न हो लेकिन उसमें SOTS स्कीम 2022-23 का हवाला है। स्कीम में स्पष्ट प्रावधान है कि भुगतान की अधिकतम अवधि 180 दिन होगी। इस प्रकार यह कहना गलत है कि OTS की कोई समयसीमा तय नहीं थी।
खंडपीठ ने यह भी देखा कि याचिकाकर्ताओं ने इस अवधि में भुगतान न करने का कोई ठोस कारण प्रस्तुत नहीं किया। इसलिए बैंक द्वारा OTS रद्द करना और बंधक संपत्तियों की बिक्री करना पूरी तरह बोना फाइड और विधिसम्मत है।
साथ ही यह तथ्य भी महत्वपूर्ण था कि संपत्तियाँ पहले ही तीसरे पक्ष को बेची जा चुकी थीं और बिक्री प्रमाणपत्र जारी हो चुका था। ऐसे में अदालत के हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं बनता।
नतीजतन हाईकोर्ट ने रिट याचिका खारिज करते हुए साफ़ कहा कि OTS स्कीम स्वभावतः समयबद्ध होती हैं और उधारकर्ता केवल इस आधार पर समयसीमा बढ़ाने की मांग नहीं कर सकता कि उसे भुगतान करने में सुविधा होगी।
टाइटल : M/s Jaharveer Maharaj Agro Pvt. Ltd. & Anr. बनाम भारत संघ व अन्य 2025 LiveLaw (AB) 331