65 वर्षीय बरेली निवासी अवैध हिरासत में नहीं, धर्मांतरण मामले में हुई है गिरफ्तारी: यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में कहा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार (8 सितंबर) को हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें बरेली की एक महिला ने दावा किया था कि उसके 65 वर्षीय पति को 20 अगस्त से पुलिस ने अवैध हिरासत में रखा है।
कोर्ट के पहले के आदेश पर अधिकारियों ने व्यक्ति (बेग) को पेश किया।
जस्टिस सलील कुमार राय और जस्टिस जफीर अहमद की बेंच को राज्य की ओर से बताया गया कि बेग को अवैध धर्मांतरण मामले में हिरासत में लिया गया है। 7 सितंबर को औपचारिक तौर पर गिरफ्तार किया गया, जब पीड़िता के बयान में उसका नाम सामने आया।
याचिकाकर्ता पत्नी का आरोप है कि स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) ने उनके पति को 20 अगस्त की रात घर से उठा लिया था। इस दौरान 11 लोग तीन जीपों से आए और जब उनके बेटे ने विरोध किया तो उसे रिवॉल्वर दिखाकर धमकाया गया। परिवार का कहना है कि पूरी घटना सीसीटीवी में कैद है। याचिका में यह भी आरोप है कि हिरासत के दौरान 1,00,000 की रिश्वत भी मांगी गई।
राज्य सरकार का पक्ष
सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बेग को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। 5 दिन की पुलिस रिमांड भी ली गई ताकि हाईकोर्ट में उसकी पेशी सुनिश्चित की जा सके। राज्य का कहना है कि पीड़िता पूरी तरह से दृष्टिहीन है और उसका अवैध धर्मांतरण कराया गया।
कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा,
“भले ही कॉर्पस धर्मांतरण में शामिल हो लेकिन कानून को अपना रास्ता अपनाना होगा। वर्दीधारी विभाग को भी कानून का पालन करना है। जांच हो सकती है, परंतु वह कानून के दायरे में रहकर ही हो।”
इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
केस टाइटल: पत्नी बनाम राज्य सरकार, उत्तर प्रदेश