पीड़िता के कपड़े उतारना लेकिन विरोध के कारण संभोग न कर पाना बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में आता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी महिला के कपड़े उतारना लेकिन उसके विरोध के चलते संभोग न कर पाना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 सहपठित धारा 511 के तहत बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में आता है।
जस्टिस रजनीश कुमार की एकल पीठ ने आरोपी प्रदीप कुमार @ पप्पू @ भूरिया की सजा बरकरार रखी। उक्त आरोपी को नाबालिग पीड़िता (आयु लगभग 16-18 वर्ष) के अपहरण और उसके साथ बलात्कार का प्रयास करने के लिए 10 वर्ष की सजा दी गई थी।
यह घटना वर्ष 2004 की है, जब आरोपी ने पीड़िता को अगवा कर लगभग 20 दिन तक एक घर में बंधक बनाए रखा और उसके कपड़े उतार कर उसके साथ दुष्कर्म का प्रयास किया।
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सफल रहा कि आरोपी ने विवाह और शारीरिक संबंध बनाने की नीयत से पीड़िता का अपहरण किया और उस पर यौन हमला कर बलात्कार का प्रयास किया।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले Pandharinath बनाम महाराष्ट्र राज्य (2009) और इलाहाबाद हाईकोर्ट के इसराइल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि यदि आरोपी ने पीड़िता के कपड़े उतार दिए हों तो यह बलात्कार के प्रयास का मामला बनता है।
कोर्ट ने कहा,
“अभियोजन ने यह प्रमाणित कर दिया है कि आरोपी ने पीड़िता का विवाह और शारीरिक संबंध बनाने की नीयत से अपहरण किया और उसे अपने रिश्तेदार के घर में लगभग 20 दिन रखा, जहां उसने पीड़िता की लज्जा भंग की और उसके कपड़े उतारकर बलात्कार का प्रयास किया। हालांकि पीड़िता के विरोध के चलते वह दुष्कर्म नहीं कर पाया।”
कोर्ट ने FIR में देरी को अभियोजन के मामले पर प्रभाव डालने वाला नहीं माना, क्योंकि देरी का उचित स्पष्टीकरण दिया गया था। साथ ही आरोपी द्वारा शत्रुता के आधार पर झूठे फंसाए जाने का दावा भी कोर्ट ने खारिज कर दिया।
ट्रायल कोर्ट का दोषसिद्धि आदेश बरकरार रखा गया और आरोपी की अपील खारिज कर दी गई।