स्पष्टीकरण से असंतुष्ट: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कैंसर पीड़ित टीचर को ट्रांसफर न देने पर बेसिक शिक्षा सचिव को तलब किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते यूपी बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया, क्योंकि कोर्ट ने स्तन कैंसर से पीड़ित एक असिस्टेंट टीचर के ट्रांसफर अनुरोध को खारिज करने के अधिकारी के स्पष्टीकरण पर असंतोष व्यक्त किया।
जस्टिस प्रकाश पाडिया की बेंच ने कहा कि वह सचिव (प्रतिवादी नंबर 4) द्वारा तकनीकी आधार पर याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज करने के औचित्य के लिए दायर व्यक्तिगत हलफनामे से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है।
बता दें कि याचिकाकर्ता ने शाहजहांपुर से गाजियाबाद ट्रांसफर के लिए याचिका दायर की थी, जहां वह कीमोथेरेपी ले रही है।
कोर्ट के पहले के एक विशेष निर्देश के बावजूद कि उसके मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए, उसका अनुरोध खारिज कर दिया गया।
पिछली सुनवाई (17 नवंबर) को कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज होने पर हैरानी और आश्चर्य व्यक्त किया था। हाई कोर्ट ने सचिव को इस फैसले का कारण बताने के लिए एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।
20 नवंबर को कोर्ट ने व्यक्तिगत हलफनामे की जांच की लेकिन उससे संतुष्ट नहीं हुआ, इसलिए बेंच ने निम्नलिखित आदेश पारित किया,
"व्यक्तिगत हलफनामे देखने के बाद कोर्ट प्रतिवादी नंबर 4 द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है। इस स्थिति को देखते हुए और न्याय के हित में भी प्रतिवादी नंबर 4 से अगली तय तारीख पर इस कोर्ट के सामने पेश होने का अनुरोध किया जाता है।"
मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर, 2025 को तय की गई।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उसे शाहजहांपुर में काम करने में बहुत मुश्किल हो रही है, क्योंकि उसका कैंसर का इलाज और परिवार गाजियाबाद में है, जो लगभग 320 किलोमीटर दूर है।
पिछले साल सितंबर में कोर्ट ने अधिकारियों को उसकी गंभीर मेडिकल स्थिति को देखते हुए उसके आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक फैसला करने का निर्देश देकर उसकी याचिका का निपटारा कर दिया था।
कोर्ट के इस निर्देश के बावजूद सचिव ने यह कहते हुए उसका दावा खारिज कर दिया कि उसके संस्थान में 36 स्टूडेंट्स के मुकाबले अभी केवल दो टीचर हैं।
यह बताया गया कि राज्य सरकार की नीति के अनुसार इतने स्टूडेंट्स के लिए कम से कम तीन टीचर होने चाहिए। अधिकारियों ने उसे इसके बजाय म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए अप्लाई करने का सुझाव दिया।
17 नवंबर को हाईकोर्ट ने इस तर्क पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकारियों ने उसकी जानलेवा स्वास्थ्य परेशानी के बजाय टेक्निकल पहलू को ज़्यादा अहमियत दी।
बेंच ने यह भी कहा कि वह रोज़ाना ऐसे कई संस्थानों से डील करती है जहां एक टीचर 36 से ज़्यादा स्टूडेंट्स को पढ़ाता है।
अब सेक्रेटरी 25 नवंबर को बेंच के सामने खुद पेश होंगे।