यौन उत्पीड़न मामले में नौकरी से निकाली गई कर्मचारी को राहत: गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी में होगी फिर से बहाली”
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी की महिला कर्मचारी को बड़ी राहत देते हुए उनका सेवा समाप्ति आदेश रद्द किया। अदालत ने माना कि महिला को केवल इसलिए बार-बार टर्मिनेट किया गया, क्योंकि उन्होंने यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
जस्टिस मंजु रानी चौहान ने आदेश देते हुए कहा कि यह साफ़ तौर पर अनावश्यक उत्पीड़न का मामला है, क्योंकि सभी कार्रवाई केवल शिकायत दर्ज करने के बाद ही शुरू हुईं।
उन्होंने टिप्पणी की,
“रजिस्ट्रार आज तक यूनिवर्सिटी में सेवा दे रहे हैं, जबकि शिकायतकर्ता को लगातार हटाया गया। यह स्पष्ट रूप से दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी रवैया है।”
याचिकाकर्ता मीना सिंह को 2010 में वाइस चांसलर की प्राइवेट सेक्रेटरी के रूप में नियुक्त किया गया था। 2018 में उनकी सेवाएं नियमित कर दी गईं। 2020 में उनकी नियुक्ति में कथित अनियमितताओं के आरोप में उन्हें पहली बार हटाया गया। इसके बाद चार बार सेवा समाप्ति और हर बार अदालत से राहत का सिलसिला चलता रहा।
यूनिवर्सिटी का आरोप था कि मीना सिंह ने फर्जी पीएचडी डिग्री लगाई और अपने नाम के आगे 'डॉ.' लिखा। हालांकि, अदालत ने कहा कि उनके रिकॉर्ड में नकली डिग्री किसी और ने डाली और उन्होंने कभी पीएचडी पूरी करने का दावा नहीं किया। जांच रिपोर्ट में भी यह साबित हुआ कि वह पीएचडी कर रही थीं।
अदालत ने कहा,
“यह कहना कि कोई उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा है, झूठा दावा नहीं माना जा सकता। जब तक कोई स्पष्ट और जानबूझकर गलत प्रस्तुति न हो इसे कदाचार नहीं कहा जा सकता।”
कोर्ट ने यह भी माना कि पूरी कार्यवाही रजिस्ट्रार के खिलाफ शिकायत के बाद शुरू हुई और इसका उद्देश्य सिर्फ कर्मचारी को परेशान करना था। इसलिए चौथी बार जारी सेवा समाप्ति आदेश को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने उनकी तुरंत बहाली का आदेश दिया।