इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीनियर्स की आलोचना वाली कविता पोस्ट करने के आरोपी अधिकारी के निलंबन पर लगाई रोक

Update: 2025-09-15 10:14 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) को राहत प्रदान की, जिन्हें व्हाट्सएप ग्रुप पर अपने सीनियर्स की कथित आलोचना वाली कविता पोस्ट करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था।

7 जुलाई, 2025 को पारित निलंबन आदेश को इस आधार पर न्यायालय में चुनौती दी गई कि किसी भी कविता को अपलोड करना कदाचार के दायरे में नहीं आएगा और भी कोई बड़ी सजा नहीं होगी।

जस्टिस मनीष माथुर की पीठ ने विवादित निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की दलीलें बलशाली हैं। प्रथम दृष्टया विचार की आवश्यकता है। इसने राज्य के अधिकारियों को प्रति-शपथपत्र दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय भी दिया।

एकल जज ने स्पष्ट किया कि विभागीय कार्यवाही जारी रहेगी।

कथित कविता में तुम जानते हो, डिप्टी का अरमान दोस्तों इस तरह दौड़ते हैं, फरमान दोस्तों शब्द हैं। 

इसे एक व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट किया गया, जिसके बाद विवादित निलंबन आदेश पारित किया गया।

याचिकाकर्ता (विजय प्रकाश) का प्रतिनिधित्व एडवोकेट विनय मिश्रा ने किया। उन्होंने इस आधार पर आदेश को चुनौती दी कि यह उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियम 1999 के नियम 4 का उल्लंघन करता है।

याचिका का विरोध करते हुए राज्य के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पहले ही आरोप पत्र जारी किया जा चुका है।

यह भी प्रस्तुत किया गया कि जांच का विषय यह है कि कविता किसी बंद ग्रुप में अपलोड की गई या किसी व्यापक सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर और क्या यह उनके सीनियर्स की आलोचना थी।

दोनों पक्षकारों की दलीलों पर ध्यान देते हुए न्यायालय ने उनके निलंबन पर रोक लगाई और मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर, 2025 को निर्धारित की।

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