आर्म्स रूल्स 2016 के तहत रूल 32 के उल्लंघन को साबित किए बिना गन लाइसेंस कैंसिल नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि आर्म्स रूल्स 2016 के रूल 32 के अनुसार फायरआर्म लाइसेंस कैंसिल करने से पहले यह ज़रूरी है कि फैसला करने वाला अथॉरिटी यह तय करे कि संबंधित नियमों का उल्लंघन हुआ है या नहीं।
जस्टिस कुणाल रवि सिंह ने कहा,
"रूल 32 को पढ़ने से यह साफ है कि रूल 32 के तहत लाइसेंस कैंसिल करने से पहले अथॉरिटी को यह राय बनानी होगी कि क्या कोई लाइसेंसी फायरआर्म सही प्रोटेक्टिव गियर में नहीं ले जाया गया या उसे लहराया गया, चलाया गया या किसी पब्लिक जगह या फायरआर्म फ्री ज़ोन में खाली फायरिंग की गई। ऐसे विचार और राय रूल्स 2016 के तहत रूल 32 को लागू करने के लिए बहुत ज़रूरी हैं।"
याचिकाकर्ता को 16.07.2005 को एक रिवॉल्वर का लाइसेंस दिया गया। हालांकि 22.09.2020 के नोटिस द्वारा DM गाज़ीपुर ने उक्त लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया और याचिकाकर्ता को अपना फायरआर्म जमा करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने जवाब दिया और आरोपों से इनकार किया लेकिन 17.08.2020 को SHO गाज़ीपुर ने हथियार अपने कब्ज़े में ले लिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने कमिश्नर वाराणसी के सामने अपील की। उसे भी खारिज कर दिया गया। इससे दुखी होकर उसने हाईकोर्ट का रुख किया।
कोर्ट ने आर्म्स रूल्स 2016 की जांच की। रूल 32 की जांच करने पर कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति बिना होल्स्टर या सही उपकरण के पब्लिक में फायरआर्म नहीं ले जा सकता। यह भी कहा गया कि पब्लिक में ऐसे हथियार को लहराने या खाली फायरिंग करने पर रोक है।
कोर्ट ने कहा कि रूल 32 के तहत लाइसेंस रद्द करने के लिए एक ज़रूरी शर्त यह थी कि फैसला करने वाले प्रशासन को लाइसेंस कैंसिल करने से पहले यह तय करना होगा कि उपरोक्त शर्तों का उल्लंघन हुआ है या नहीं। इस मामले में कोर्ट ने पाया कि प्रशासन ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया था।
कोर्ट ने कहा,
“जिस ऑर्डर पर सवाल उठाया गया, उसमें यह बात साफ़ तौर पर गायब है। इसलिए सिर्फ़ इसी आधार पर उस ऑर्डर को रद्द किया जा सकता है। यह साफ़ तौर पर बताए बिना कि याचिकाकर्ता ने नियम 32 के किस सब-रूल का उल्लंघन किया। याचिकाकर्ता पर उसका लाइसेंस रद्द करने और उसके हथियार ज़ब्त करने की ज़िम्मेदारी नहीं डाली जा सकती।”
इसके बादऑर्डर रद्द कर दिए गए और रिट याचिका मंज़ूर कर ली गई।