पीलीभीत जिला कार्यालय से बेदखली के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया

Update: 2025-06-30 07:40 GMT

27 जून को पार्टी ने एक अर्जेंसी आवेदन दाखिल किया और डिवीजन बेंच को अवगत कराया कि नगर पालिका परिषद उसी दिन एक समिति गठित करने जा रही है, जो अगले दो दिनों में बेदखली की कार्रवाई कर सकती है।

नगर पालिका परिषद का पक्ष रखने वाले वकील को मामले में कोई निर्देश प्राप्त नहीं थे, इसलिए जस्टिस जयंती बनर्जी और जस्टिस मदन पाल सिंह की पीठ ने उन्हें 1 जुलाई तक निर्देश प्राप्त करने का समय दिया।

मामला अब 1 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

यह घटनाक्रम तब सामने आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी की विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया था, जिसमें हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई कि पार्टी के जिला अध्यक्ष को इसी मुद्दे पर आगे रिट याचिका दायर करने से रोका गया था।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी को अपनी शिकायत लेकर स्वतंत्र रूप से हाईकोर्ट जाने की अनुमति दी थी।

एसएलपी में पार्टी ने कहा था कि उसके जिला अध्यक्ष आनंद सिंह यादव ने पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अवैध बेदखली का आरोप लगाया था, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया और यादव को उसी मुद्दे पर दोबारा रिट दायर करने से रोक दिया।

पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यादव की याचिका उनकी निजी हैसियत में थी और पार्टी उनके विचारों या कदमों का समर्थन नहीं करती। पार्टी ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हाईकोर्ट में नई याचिका दाखिल करने की अनुमति मांगी थी।

सुप्रीम कोर्ट में सपा की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस पीबी वराले की खंडपीठ के समक्ष दलील दी थी कि हाईकोर्ट के पूर्व आदेश से पार्टी को न्यायिक राहत लेने से रोका गया, जबकि पार्टी 16 वर्षों से परिसर पर काबिज है और नियमित रूप से किराया चुका रही है।

हाईकोर्ट में पार्टी ने दलील दी है कि बेदखली आदेश 12 नवंबर, 2020 को बिना सुनवाई का अवसर दिए पारित किया गया।

पार्टी ने अब नगर पालिका परिषद पीलीभीत के अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी को उसके पक्ष में लीज डीड पर निर्णय लेने के निर्देश देने की मांग की है, जो 17 मार्च, 2005 को जारी कब्जा पत्र के तहत किया जाना था।

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