नोरी जामा मस्जिद को अब और ध्वस्त नहीं किया जाएगा: हाईकोर्ट ने दर्ज किया यूपी सरकार का आश्वासन

Update: 2025-11-19 09:31 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर-नोरी जामा मस्जिद प्रबंध समिति की याचिका को इस आधार पर निस्तारित कर दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्ट रूप से आश्वासन दिया कि धार्मिक संरचना पर अब किसी तरह की आगे की तोड़फोड़ आवश्यक नहीं है।

जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि जब राज्य सरकार ने साफ शब्दों में यह स्थिति स्पष्ट कर दी तो याचिकाकर्ता के अधिकार विधिक प्रक्रिया के माध्यम से पर्याप्त रूप से संरक्षित रहेंगे। अदालत ने समिति को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 24 के तहत भूमि सीमा-चिन्हांकन के लिए आवेदन करने की स्वतंत्रता भी दी।

सुनवाई के दौरान एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल, सहायक मुख्य सरकारी वकील ए.के. गोयल के साथ उपस्थित होकर राज्य की स्थिति स्पष्ट की कि कार्रवाई केवल अतिक्रमणों को हटाने तक सीमित थी। उन्होंने यह भी बताया कि मस्जिद की मूल संरचना पर किए गए अतिरिक्त निर्माण या राज्य भूमि पर हुए अतिक्रमण पहले ही हटा दिए गए।

अदालत ने राज्य सरकार के इस स्पष्ट रुख को अपने अंतिम आदेश में दर्ज किया और कहा,

“राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया और हम इसे रिकॉर्ड करते हैं कि मस्जिद का अब किसी भी तरह का आगे का ध्वस्तीकरण आवश्यक नहीं है।”

अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ता के अधिकारों की सुरक्षा भूमि-सीमा निर्धारण की विधिक प्रक्रिया के माध्यम से की जा सकती है। इसलिए अदालत ने याचिका का निस्तारण कर दिया। साथ ही यह स्वतंत्रता दी कि समिति यदि चाहें तो सीमा निर्धारण के लिए आवेदन करे।

अदालत ने निर्देश दिया कि यदि ऐसा आवेदन दिया जाता है तो संबंधित प्राधिकारी विधि में निर्धारित समय-सीमा के भीतर सीमा-चिन्हांकन की कार्रवाई पूरी करेगा।

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