इलाहाबाद हाइकोर्ट ने 4 बुज़ुर्ग आरोपियों को अंतरिम ज़मानत पर रिहा किया, जिनमें से 2 100% अंधे हैं

Update: 2024-03-21 08:52 GMT

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने मंगलवार को 4 बुज़ुर्ग हत्या के आरोपियों को अल्पकालिक ज़मानत दी, जिनमें से दो 100% अंधे हैं। उक्त कोर्ट ने जमानत तब तक के लिए दी, जब तक कि राज्य सरकार के समक्ष लंबित उनके समयपूर्व रिहाई के मामले पर फ़ैसला नहीं हो जाता।

जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान और जस्टिस शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने यह आदेश हाइकोर्ट के 10 जनवरी 2024 के आदेश [गणेश बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (आपराधिक अपील नंबर 165/2016) के मामले में पारित] के अनुरूप पारित किया।

संदर्भ के लिए गणेश मामले (सुप्रा) में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पूरे राज्य के सभी न्यायालयों के सभी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटों/जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को निर्देश दिया कि वे उत्तर प्रदेश राज्य की विभिन्न जेलों में बंद उन सभी आरोपियों पर नज़र रखें, जिनके मामलों में समय से पहले रिहाई की सिफारिश की गई। उन्हें तदनुसार अंतरिम ज़मानत पर रिहा किया जाए, इस शर्त के अधीन कि यदि किसी आरोपी की सिफारिश राज्य सरकार द्वारा खारिज कर दी जाती है तो वह संबंधित न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करेगा और उसे फिर से जेल भेज दिया जाएगा।

महत्वपूर्ण बात यह है कि गणेश केस (सुप्रा) में निर्देश रशीदुल जाफ़र @ छोटा बनाम यूपी राज्य और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में समय से पहले रिहाई के मामलों के निपटारे में देरी को देखते हुए जारी किए गए।

यह देखते हुए कि गणेश मामले (सुप्रा) में उसके आदेश का न्यायालय के समक्ष 4 आरोपी-अपीलकर्ताओं के संबंध में अनुपालन नहीं किया गया, खंडपीठ ने संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से हाईकोर्ट के 10 जनवरी, 2024 के आदेश के अनुसार वर्तमान अपीलकर्ताओं को अल्पावधि जमानत पर रिहा करने में उनकी विफलता के लिए स्पष्टीकरण भी मांगा।

इसके अलावा रजिस्ट्रार जनरल को उत्तर प्रदेश राज्य के सभी संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से 10 जनवरी 2024 के आदेश के अनुपालन रिपोर्ट प्राप्त करने का भी निर्देश दिया गया।

कहा गया,

"इस पीठ [गणेश मामले (सुप्रा) में] के उपरोक्त निर्देशों के बावजूद, ऐसा लगता है कि इसका पालन नहीं किया जा रहा है और आरोपी-अपीलकर्ता संख्या 1, 3, 4 और अन्य आरोपी पाल सिंह (जो वर्तमान अपील में पक्ष नहीं हैं), जिनके मामलों में समय से पहले रिहाई की सिफारिश की गई, उनको संबंधित अदालत द्वारा अंतरिम जमानत नहीं दी गई।"

अदालत ने निर्देश दिया,

"ऐसी परिस्थितियों में इस पीठ के पास संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को 10 जनवरी, 2024 के आदेश का पालन नहीं करने के लिए लिस्टिंग की अगली तारीख से पहले जवाब दाखिल करने के लिए स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश देने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।"

इस बीच न्यायालय ने 93 वर्षीय सुच्चा सिंह (अंधता 100% एचटीएन तथा वृद्धावस्था दुर्बलता), 57 वर्षीय हरदीप सिंह (100% अंधापन), 83 वर्षीय दलवीर सिंह (एचटीएन, पित्ताश्मरता तथा वृद्धावस्था दुर्बलता), 52 वर्षीय अवतार सिंह (गले की बीमारी से पीड़ित) तथा 72 वर्षीय पाल सिंह (एचटीएन, सीओपीडी तथा वृद्धावस्था दुर्बलता) सहित अन्य आरोपियों को अल्पावधि जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया।

सभी आरोपियों को इस शर्त पर रिहा किया गया कि वे अल्पावधि जमानत की अवधि के दौरान शांति तथा सौहार्द बनाए रखेंगे तथा किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। इसके अलावा, न्यायालय ने निर्देश दिया कि अल्पावधि जमानत की अवधि के दौरान वे संबंधित पुलिस की 24 घंटे निगरानी में रहेंगे। हालांकि, वे अपनी इच्छानुसार किसी भी स्थान पर जाने के लिए स्वतंत्र होंगे।

इसके साथ ही उनकी अल्पकालिक जमानत की अर्जी मंजूर कर ली गई। उनकी मुख्य अपील (हत्या के मामले में उनकी दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली) की सुनवाई 22 मार्च को तय की गई।

केस टाइटल - सुच्चा सिंह और 3 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

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