इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक के परिवार को रिटायरमेंट बकाया राशि वितरित करने में 14 वर्ष की देरी के लिए राज्य की उदासीनता की निंदा की, 8% ब्याज का आदेश दिया
मृतक सरकारी कर्मचारी के रिटायरमेंट बकाया से संबंधित मामले का निर्णय करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि भुगतान करने में 2005 से अत्यधिक देरी के लिए राज्य द्वारा कोई कारण नहीं दिया गया। यह वास्तव में प्रतिवादियों की उदासीनता के कारण हुआ।
न्यायालय ने माना कि राज्य ऐसे बकाया पर 8% प्रति वर्ष ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, जो उसके स्वयं के कारण वितरित नहीं किया गया।
जस्टिस अजय भनोट ने योगेंद्र सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय पर भरोसा करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में मृतक के परिवार को अत्याचारी अधिकारियों द्वारा परेशान नहीं किया जा सकता है। राज्य भुगतान में देरी पर ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।
पूरा मामला
याचिकाकर्ता के पति की मृत्यु तब हुई, जब वह उत्तर प्रदेश राज्य में कार्यरत थे। उनका नो ड्यूज सर्टिफिकेट 2005 में जारी और सत्यापित किया गया। हालांकि याचिकाकर्ता को कोई रिटायरमेंट बकाया नहीं दिया गया। व्यथित होकर उन्होंने वर्ष 2019 में एक रिट याचिका दायर की।
उनके पक्ष में निर्देश जारी किए जाने के बावजूद, अधिकारियों ने उनका पालन नहीं किया। जवाब में याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दायर की, जिसमें उन्हें अंततः 23.12.2019 को बकाया राशि प्रदान की गई। विलंबित भुगतान पर कोई ब्याज नहीं दिया गया। उसी के अनुसरण में याचिकाकर्ता ने वर्तमान रिट याचिका दायर की।
हाईकोर्ट का फैसला
न्यायालय ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार याचिकाकर्ता ने मूल रूप से 18.08.2005 को भविष्य निधि और फैमिली पेंशन जारी करने के लिए कहा था।
कोर्ट ने कहा,
“कर्मचारी की मृत्यु एक से अधिक तरीकों से परिवार को बेसहारा बना देती है। भावनात्मक सहारा खोने के अलावा परिवार ने एकमात्र कमाने वाला भी खो दिया।”
कोर्ट ने माना कि ऐसी परिस्थितियों में राज्य की जिम्मेदारी थी कि वह कानून के अनुसार तत्परता और सहानुभूति के साथ अपना कर्तव्य निभाए, जो वर्तमान परिदृश्य में नहीं था। योगेंद्र यादव के फैसले के अनुसार, कोर्ट ने माना कि राज्य विलंबित भुगतान के लिए ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी था।
कोर्ट ने योगेंद्र यादव बनाम यूपी राज्य में कहा,
“यदि रिटायरमेंट लाभ और पेंशन के भुगतान में कोई देरी होती है तो कर्मचारी अपनी रिटायरमेंट की तारीख से वास्तविक भुगतान की तारीख तक वर्तमान बाजार दर पर ब्याज का हकदार होगा। विलंबित भुगतान पर ब्याज राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा
तदनुसार कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रतिवादी 18.05.2005 से 23.12.2019 तक की अवधि के लिए 8% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी थे।
केस टाइटल: कृष्णावती बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य