सरकारी निगमों में हकदारी कल्चर हावी, काबिल फर्स्ट-जेनरेशन वकीलों की अनदेखी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारी निगमों में वकीलों की नियुक्तियों में 'हकदारी कल्चर' (Entitlement Culture) जड़ें जमा चुका है, जिसके चलते केवल प्रभावशाली परिवारों के वकीलों को मौके मिलते हैं, जबकि मेहनती और ईमानदार फर्स्ट-जेनरेशन वकीलों को नज़रअंदाज़ किया जाता है।
जस्टिस अजय भनोट ने यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) के वकील की लापरवाही और अक्षमता को लेकर नाराजगी जताई यह कहते हुए कि निगम में मेरिट आधारित और पारदर्शी तरीके से वकीलों की नियुक्ति अच्छे प्रशासन और संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप है।
उन्होंने कहा,
“अक्सर पहले पीढ़ी के युवा वकीलों को राज्य निगमों का प्रतिनिधित्व करने का अवसर नहीं मिलता, जबकि उनमें से कई बेहद योग्य और परिश्रमी होते हैं।”
मामला झांसी की श्रम न्यायालय में 2015 में UPSRTC के खिलाफ दिए गए एकपक्षीय अवॉर्ड से जुड़ा था, जिसे हाईकोर्ट ने 2021 में रद्द कर चार महीने में पुनः सुनवाई का निर्देश दिया था। लेकिन निगम ने 2023 में श्रम न्यायालय में ऐसा आवेदन दिया, जिससे मामला बंद कर दिया गया। हाईकोर्ट ने इसको अवमाननापूर्ण मानते हुए निगम के प्रबंध निदेशक को तलब किया।
अदालत के सामने प्रबंध निदेशक ने आश्वासन दिया कि भविष्य में नियुक्तियों में बार के श्रेष्ठ प्रतिभाओं को खासकर फर्स्ट-जेनरेशन वकीलों को अवसर देने के लिए पारदर्शी प्रणाली बनाई जाएगी।
कोर्ट ने निगम को बोर्ड मीटिंग कर इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई 22 सितंबर 2025 को तय की।