इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आधार आवेदन पर मुस्लिम बनकर सनातन धर्म अपनाने वाले आरोपी को राहत देने से किया इनकार

Update: 2024-10-16 10:07 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में व्यक्ति (आरिफ हुसैन उर्फ ​​सोनू सिंह) को राहत देने से इनकार किया। उक्त व्यक्ति पर हिंदू महिला (इंफॉर्मेंट) को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने, अपना असली नाम और धर्म छिपाकर उसके साथ बलात्कार करने और उसके बाद उसे अपने साथ शादी करने के लिए मजबूर करने का आरोप है।

आरोपी का कहना है कि उसने 15 साल पहले सनातन धर्म अपना लिया था। 2009 में आर्य समाज मंदिर में पीड़िता से शादी की थी लेकिन जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने कहा कि 2009 में कथित तौर पर इस्लाम से सनातन धर्म अपनाने के बाद उसने 2012 में आरिफ हुसैन के नाम से खुद को इस्लाम का अनुयायी बताते हुए आधार के लिए आवेदन किया था।

"यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 ने न तो अपने रिश्ते में और न ही उक्त विवाह के बाद भी खुद को ईमानदारी से संचालित नहीं किया।"

न्यायालय ने कहा कि उसने SC/ST Act और BNS की विभिन्न धाराओं के तहत उसके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार किया, जिसमें धारा 70 (1), 318 (4) और 115 (2) शामिल हैं।

यह इंफॉर्मेंट-पत्नी का मामला था कि आरोपी ने खुद को गलत नाम से पहचान कर शुरू में उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। उसके साथ बलात्कार किया और उसके बाद उसे उससे शादी करने के लिए मजबूर किया।

FIR में पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि उसने उसे अपने दो भाइयों (सह-आरोपी) के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया।

FIR को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता नंबर 1 (पति-आरोपी) ने हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें उसके वकील ने दावा किया कि उसने अपना धर्म इस्लाम से सनातन में परिवर्तित कर लिया है। इस दावे का समर्थन करने के लिए लखनऊ के आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी धर्मांतरण और विवाह प्रमाण पत्र भी दायर किए गए।

कोर्ट ने दोनों प्रमाण पत्रों को 'संदिग्ध' पाया, क्योंकि उसने पाया कि दोनों में एक ही सीरियल नंबर था। विवाह प्रमाण पत्र में पक्षों की उम्र का उल्लेख नहीं किया गया और धर्मांतरण प्रमाण पत्र में शब्द भी अनुचित थे।

न्यायालय ने यह भी कहा कि 2009 में इस्लाम से सनातन धर्म अपनाने के उसके दावे के बावजूद याचिका में 2012 में जारी आधार कार्ड की कॉपी शामिल थी, जो आरिफ हुसैन के नाम पर थी।

जब खंडपीठ ने वकील से पूछा कि याचिकाकर्ता नंबर 1 जो 2009 में पहले ही इस्लाम से सनातन धर्म अपना चुका था, ने 2012 में आरिफ हुसैन के रूप में आधार के लिए आवेदन क्यों किया खुद को इस्लाम का अनुयायी बताते हुए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया जा सका।

इसे देखते हुए और मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए न्यायालय ने इस स्तर पर FIR में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जब पूरी जांच लंबित थी। इसलिए रिट याचिका खारिज कर दी गई।

न्यायालय ने पुलिस को इस तथ्य की जांच करने की स्वतंत्रता दी कि क्या याचिकाकर्ता नंबर 1 ने भी वर्ष 2012 में गलत/अधूरी जानकारी के आधार पर आरिफ हुसैन के नाम से अपना आधार कार्ड बनवाने का अपराध किया, जबकि वह वर्ष 2009 में ही इस्लाम से सनातन धर्म अपना चुका था।

केस टाइटल - आरिफ हुसैन @ सोनू सिंह और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से प्रधान सचिव गृह विभाग लखनऊ और अन्य

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