यूपी सरकार के बहराइच मजार विध्वंस के मामले में आश्वासन का उल्लंघन करने के खिलाफ अवमानना याचिका दायर

Update: 2025-06-26 11:38 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट में अवमानना ​​याचिका दायर कर आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बहराइच जिले में स्थित दरगाह हजरत सैय्यद मोहम्मद हाशिम शाह (जिसे लक्कड़ शाह मजार के नाम से जाना जाता है) के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के अपने आश्वासन का उल्लंघन किया।

याचिका में आरोप लगाया गया कि राज्य सरकार ने 10 जून, 2025 को न्यायालय के समक्ष स्पष्ट रूप से कहा था कि दरगाह के ध्वस्तीकरण को रोक दिया गया और अगले चार सप्ताह तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन इसके बावजूद 13 जून को दरगाह को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया।

बुधवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बृज राज सिंह की पीठ ने सरकारी वकील को अवमानना ​​याचिका में लगाए गए आरोपों के आलोक में निर्देश मांगने का निर्देश दिया। न्यायालय ने निर्देश दिया है कि मामले को 3 जुलाई, 2025 को नए सिरे से सूचीबद्ध किया जाए।

न्यायालय के आदेश में कहा गया,

“आवेदक के वकील सरकारी वकील को अवमानना ​​आवेदन की कॉपी देंगे, जिन्हें मामले में निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया जाता है, क्योंकि आरोप है कि रिट-सी नंबर 5870/2025 में पारित दिनांक 10.06.2025 के आदेश में अतिरिक्त मुख्य सरकारी वकील द्वारा दिए गए वचन का उल्लंघन किया गया।”

मामले की पृष्ठभूमि

10 जून को उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट को सूचित किया था कि उसने बहराइच में कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के मुर्तिहा रेंज वन में स्थित लक्कड़ शाह और तीन अन्य मजारों पर ध्वस्तीकरण अभियान रोक दिया है।

राज्य ने न्यायालय को यह भी आश्वासन दिया था कि चार सप्ताह की अवधि तक कोई और ध्वस्तीकरण या बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

यह आश्वासन जस्टिस सौरभ लावणिया और जस्टिस सैयद कमर हसन रिजवी की खंडपीठ द्वारा दर्ज किया गया, जो वक्फ नंबर 108 की प्रबंध समिति द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो उस दरगाह की देखरेख करती है, जहां कथित तौर पर 16वीं शताब्दी से उर्स मनाया जाता रहा है।

वन विभाग द्वारा भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत संरक्षित वन भूमि पर अतिक्रमण का हवाला देते हुए इन मजारों को ध्वस्त करने की पहल करने के बाद समिति ने हाईकोर्ट का रुख किया था।

अवमानना ​​याचिका में वक्फ समिति ने आरोप लगाया कि राज्य के आश्वासन के ठीक 3 दिन बाद 13 जून को पुलिस कर्मियों ने मजार के रखवालों और अन्य लोगों को हिरासत में ले लिया और उन्हें साइट से लगभग एक किलोमीटर दूर छोड़ दिया।

याचिका में आगे दावा किया गया कि इसके तुरंत बाद साइट पर तोड़फोड़ फिर से शुरू हो गई और पूरी संरचना को ध्वस्त कर दिया गया। अब केवल कब्रें ही बची हैं। याचिका में अधिकारियों पर जानबूझकर वचनबद्धता का उल्लंघन करने और साइट पर यथास्थिति बनाए रखने के न्यायालय के निर्देश का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया गया।

याचिका में कहा गया,

"अब प्रवेश और धार्मिक प्रथाओं को अवैध रूप से बाधित किया जा रहा है और आगे की तोड़फोड़ इस माननीय न्यायालय के स्पष्ट आदेश की अवहेलना है, जिससे समुदाय की धार्मिक भावनाओं को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है और कानून के शासन का उल्लंघन हो रहा है।"

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