इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ में लाउडस्पीकरों के खिलाफ दायर याचिका खारिज की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ में लाउडस्पीकर लगाने के खिलाफ जनहित याचिका इस आधार पर खारिज की कि सार्वजनिक संबोधन प्रणाली अनुमेय सीमा से अधिक शोर पैदा कर रही है।
याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए दावा किया कि जब वे महाकुंभ के सेक्टर 18 में प्रचार कर रहे थे तो उनके आसपास के शिविरों में लाउडस्पीकर (सार्वजनिक संबोधन प्रणाली) और एलसीडी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि इस तरह के ध्वनि प्रदूषण से उनके ध्यान आदि में बाधा उत्पन्न हो रही है।
कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने केवल उन लाउडस्पीकरों की तस्वीरें दाखिल की हैं, जिन्हें घोषणाओं के लिए लगाया गया था और जिन्हें अस्थायी सार्वजनिक सड़कों पर रखा गया।
यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता ने यह नहीं दिखाया कि सार्वजनिक संबोधन प्रणालियां किस तरह से ध्वनि प्रदूषण पैदा कर रही हैं, चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने टिप्पणी की,
“याचिका दाखिल करना माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के आधार पर किए गए अकादमिक अभ्यास और लाउडस्पीकरों की कुछ तस्वीरें पेश करने पर आधारित है। ऐसी संक्षिप्त याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।”
तदनुसार, जनहित याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: ब्रह्मचारी दयानंद भारतीय निवासी और अन्य बनाम भारत संघ और 4 अन्य [जनहित याचिका (पीआईएल) संख्या - 265/2025]