सरकारों को मधुमक्खी की तरह पंखुड़ियों को परेशान किए बिना टैक्स एकत्र करना चाहिए: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने हॉकिन्स के खिलाफ आदेश रद्द किया

Update: 2024-02-16 09:31 GMT

हॉकिन्स कुकर्स लिमिटेड के खिलाफ माल और सेवा कर अधिनियम 2017 (Goods And Services Tax 2017) की धारा 129 के तहत पारित जुर्माना आदेश रद्द करते हुए इलाहाबाद हाइकोर्ट ने चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र का हवाला दिया।

हाईकोर्ट ने कहा,

"सरकारों को टैक्स उसी तरह वसूलना चाहिए, जैसे मधुमक्खी फूल की पंखुड़ियों को छेड़े बिना उससे शहद इकट्ठा करती है।"

न्यायालय ने माना कि किसी अन्य विसंगति के अभाव में आठ ई-वे बिलों में से चार में याचिकाकर्ता के व्यवसाय के मुख्य स्थान का गलत पता दर्ज किया गया। इससे टैक्स चोरी के इरादे की धारणा को जन्म नहीं मिलता।

जस्टिस शेखर बी. सराफ ने कहा,

"याचिकाकर्ता द्वारा की गई केवल तकनीकी त्रुटि के परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता पर इतना कठोर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता।"

मामले की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता हॉकिन्स ब्रांड नाम के तहत प्रेशर कुकर के निर्माण और बिक्री के व्यवसाय में लगा हुआ है, जिसका मुख्य व्यवसाय स्थान कानपुर और कारखाना जौनपुर में है।

याचिकाकर्ता ने महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश तक प्रेशर कुकर के निर्माण के लिए विभिन्न भागों/कच्चे माल की खरीद/स्टॉक ट्रांसफर किया। माल की डिलीवरी जौनपुर स्थित फैक्ट्री में होनी थी। 8 ई-वे बिल में से 4 में डिलीवरी एड्रेस सही दर्ज था। हालांकि, शेष 4 ई-वे बिल में जौनपुर की फैक्ट्री के बजाय कानपुर में व्यवसाय के प्रमुख स्थान का पता बताया गया।

माल को रोक लिया गया और ई-वे बिल में विसंगतियों के आधार पर डिटेंशन मेमो जारी किया गया।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि ई-वे बिल बनाते समय याचिकाकर्ता के GSTIN (रजिस्ट्रेशन नंबर) दर्ज करते समय व्यवसाय का स्थान स्वचालित रूप से प्रतिबिंबित होने के कारण गलती हुई। हालांकि ई-वे बिल बनाने वाले व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह पता बदले, लेकिन याचिकाकर्ता के अकाउंटेंट ने अनजाने में पता नहीं बदला।

यह तर्क दिया गया कि टैक्स चोरी के इरादे के बिना यह गलती तकनीकी है। यह प्रस्तुत किया गया कि माल को व्यवसाय के मुख्य स्थान पर नहीं ले जाया जा सकता, क्योंकि वे प्रेशर कुकर के निर्माण के लिए आवश्यक कच्चे माल है।

प्रतिवादी के वकील ने इस आधार पर दंड आदेश का बचाव किया कि गलती गंभीर प्रकृति की होने के कारण टैक्स से बचने के इरादे की धारणा को जन्म देती है।

हाईकोर्ट का फैसला

कोर्ट ने पाया कि 8 ई-वे बिलों में से 4 में गलत पते का उल्लेख किया गया। 8 चालानों और बिल्टी में कोई विसंगतियां नहीं थीं, इसलिए कोर्ट ने पाया कि अनजाने में हुई गलती के संबंध में याचिकाकर्ता का तर्क दूरगामी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से कर चोरी करने का कोई इरादा नहीं था।

कोर्ट ने कहा,

“जैसा कि इस न्यायालय ने कई मामलों में माना, जहां अधिनियम की धारा 129 के तहत जुर्माना लगाया जा रहा है, वहां टैक्स चोरी का इरादा मौजूद होना चाहिए। अब टैक्स चोरी का ऐसा इरादा उन मामलों में विभाग द्वारा माना जा सकता है, जहां नियमों की पूरी तरह से अवहेलना होती है।"

न्यायालय ने कहा कि टैक्स चोरी के इरादे का अनुमान उन मामलों में लगाया जा सकता है, जहां माल के साथ चालान या ई-वे बिल नहीं हैं, क्योंकि निर्धारिती द्वारा इसका खंडन किया जा सकता है। ऐसे मामले में, जहां सामान के साथ सभी दस्तावेज़ हों और किसी दस्तावेज़ में कोई तकनीकी गलती आ गई हो तो ऐसी धारणा नहीं बनाई जा सकती।

न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में टैक्स चोरी के इरादे को इंगित करना विभाग पर है।

कोर्ट ने कहा कि ई-वे बिल में तकनीकी गलती के कारण याचिकाकर्ता पर कठोर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता।

तदनुसार रिट याचिका की अनुमति दी गई और याचिकाकर्ता के खिलाफ जुर्माना आदेश रद्द कर दिया गया।

केस टाइटल- हॉकिन्स कुकर्स लिमिटेड बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य 2024 लाइव लॉ (एबी) 96 [रिट टैक्स संख्या - 2020 का 739]

Tags:    

Similar News