PCS-J 2022 | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य परीक्षा में अंकन विसंगतियों का आरोप लगाने वाली अभ्यर्थी की याचिका पर UPPSC से जवाब मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) को यूपी न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) मुख्य परीक्षा 2022 में उसके उत्तरों के अंकन में विसंगतियों के अभ्यर्थी के आरोपों का जवाब देने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता (सुचेता राय) का दावा है कि लिखित परीक्षा (सामान्य ज्ञान और विधि पेपर-III परीक्षा) में उसके उत्तरों के लिए उसे कम अंक दिए गए। यदि उसे एक या अधिक अंक दिए गए होते तो उसका चयन हो जाता।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एडवोकेट शाश्वत आनंद, सैयद अहमद फैजान, अंकुर आजाद और सौमित्र आनंद के साथ सीनियर एडवोकेट एसएफए नकवी ने तर्क दिया कि कथित गैर-मूल्यांकन और विसंगतियों की अनुपस्थिति में उनका चयन सुरक्षित हो गया होता।
उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस दोनादी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि परीक्षा का अंतिम परिणाम 30.8.2023 को घोषित किया गया। इसलिए उम्मीदवार ने लगभग 11 महीने की देरी से अदालत का दरवाजा खटखटाया।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह मुद्दा हाल ही में तब सामने आया, जब UPPSC ने सार्वजनिक नोटिस के जरिए उम्मीदवारों को अपनी उत्तर पुस्तिकाओं की समीक्षा करने के लिए आमंत्रित किया। उसने उक्त नोटिस के अनुसरण में 4 जुलाई, 2024 को अपनी उत्तर पुस्तिकाओं का अवलोकन किया, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इस स्तर पर UPPSC के वकील निशीथ यादव ने कहा कि 4 जुलाई को अपनी उत्तर पुस्तिकाओं के निरीक्षण के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी संतुष्टि व्यक्त की थी और कोई आपत्ति नहीं जताई।
हालांकि बाद में उन्होंने अपना विचार बदल दिया। तदनुसार, उन्होंने वर्तमान याचिका को बाद में दायर किए जाने पर आपत्ति जताई।
इस पृष्ठभूमि में UPPSC के इस रुख के मद्देनजर कि वह 30 अगस्त, 2024 तक (उम्मीदवारों द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं के निरीक्षण के अंत में) उत्पन्न होने वाली सभी शिकायतों का निवारण करेगा न्यायालय ने कहा कि परिणामों पर अंतरिम रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता।
हालांकि परिणामों पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करते हुए न्यायालय ने UPPSC को छह सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया, जिसके बाद राय को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया।
इसी तरह के अन्य मामले में 19 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट ने अन्य अभ्यर्थी श्रवण पांडे की याचिका के संबंध में भी UPPSC से जवाब मांगा, जो UPPCSJ-2022 मुख्य परीक्षा में कथित घोटाले और गड़बड़ी की एफआईआर और सीबीआई जांच की मांग कर रहा है।
केस टाइटल - सुचेता राय बनाम यूपी राज्य 2 अन्य