बिना सोचे-समझे एक ही तरह के आदेश पारित करने वाले DRT अधिकारी को 'ट्रेनिंग देने पर विचार करे' वित्त मंत्रालय: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2025-05-23 11:26 GMT

ऋण वसूली न्यायाधिकरण, (DRT) लखनऊ द्वारा बिना सोचे-समझे मामलों में पारित किए जा रहे इसी तरह के आदेशों को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि वित्त मंत्रालय को अधिकारियों को ट्रेनिंग देने पर विचार करना चाहिए, जिससे DRT सुचारू रूप से काम कर सके।

याचिकाकर्ताओं ने अंतरिम राहत के लिए उनका आवेदन खारिज करने वाले DRT के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि आदेश के खिलाफ अपील स्वीकार्य थी, लेकिन यह तर्क दिया गया कि हालांकि अंतरिम राहत देने के समर्थन में कारण दिए गए, लेकिन उन्हें गलत तरीके से दर्ज किया गया और याचिकाकर्ताओं के आवेदन को खारिज करते हुए अचानक आदेश पारित किया गया।

हालांकि प्रतिवादी ने आदेश को सही ठहराने की कोशिश की, लेकिन वकील ने स्वीकार किया कि आदेश में उचित तर्क नहीं दिया गया था।

न्यायालय ने कहा कि आदेशों में कारणों की कमी DRT के सदस्यों के प्रशिक्षण की कमी को दर्शाती है। आदेश खारिज करते हुए इसने माना कि विवादित आदेश में बिना सोचे-समझे आदेश दिया गया।

जस्टिस पंकज भाटिया ने कहा,

"यह न्यायालय देख रहा है कि DRT लखनऊ द्वारा विभिन्न मामलों में इसी प्रकार के आदेश पारित किए गए, इसलिए इस आदेश की एक प्रति वित्त मंत्रालय को भेजी जाए, जिससे संबंधित अधिकारी को प्रशिक्षण देने पर विचार किया जा सके ताकि DRT का कामकाज सुचारू रूप से चल सके, जिसके लिए इसकी स्थापना की गई थी।"

तदनुसार, न्यायालय ने निर्देश दिया कि मामले को दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद नए आदेश पारित करने के लिए DRT लखनऊ को वापस भेज दिया जाए।

केस का शीर्षक: विमला कश्यप और 2 अन्य बनाम भारत संघ के माध्यम से सचिव वित्तीय सेवा मंत्रालय नई दिल्ली और 3 अन्य [अनुच्छेद 227 नंबर - 2946/2025 के अंतर्गत मामले]

Tags:    

Similar News