इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीलीभीत जिला कार्यालय को खाली कराने के खिलाफ समाजवादी पार्टी की याचिका पर विचार करने से मना किया

Update: 2025-07-03 11:54 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को समाजवादी पार्टी की ओर से दायर एक रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि नगर पालिका परिषद, पीलीभीत न पार्टी को उसके जिला कार्यालय परिसर से बेदखल करने का फैसला किया है, जिसके खिलाफ यह रिट याचिका दायर की गई थी।

जस्टिस अश्विनी मिश्रा और जस्टिस जयंत बनर्जी की पीठ ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता/पक्ष ने पहले ही उसी विषय के संबंध में सिविल न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, इसलिए हाईकोर्ट में समानांतर कार्यवाही की अनुमति नहीं दी जा सकती।

सुनवाई के दरमियान जस्टिस मिश्रा ने समाजवादी पार्टी की ओर से मौजूद वकील से मौखिक रूप से पूछा,

"आप पहले ही उसी दस्तावेज के खिलाफ सिविल न्यायालय जा चुके हैं, क्या आपको समानांतर कार्यवाही करने की अनुमति दी जा सकती है? ... हालांकि स्पष्ट रूप से यह प्रार्थना नहीं की गई है, लेकिन निहित रूप से यह वही है",

इस पर, जब याचिकाकर्ता के वकील, एडवोकेट विनायक मित्तल ने तर्क दिया कि प्रतिवादियों ने पहले ही आदेश पर कार्रवाई की है और परिसर पर ताला लगा दिया है, तो जस्टिस मिश्रा ने जवाब दिया, "जो भी हो... लेकिन आज की स्थिति में याचिका केवल निषेधाज्ञा के लिए है"।

पीठ ने आगे स्पष्ट किया कि यदि निचली अदालत के समक्ष उसकी याचिका पर विचार नहीं किया जाता है, तो याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय में जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत एक रिट याचिका एक बार दीवानी उपाय का लाभ उठाने के बाद विचारणीय नहीं होगी।

इस प्रकार, याचिकाकर्ता की इस दलील को दर्ज करते हुए कि उसने संपत्ति के संबंध में उचित निषेधाज्ञा के अनुदान के लिए दीवानी न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, न्यायालय मामले में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं था। तदनुसार, न्यायालय ने अपने समक्ष मामले के संबंध में अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने से इनकार कर दिया। 

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