कोर्ट में वर्दी में पेश हों पुलिसकर्मी: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साधारण कपड़ों में पहुंचे इंस्पेक्टर को लगाई फटकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक पुलिस अधिकारी को कोर्ट की कार्यवाही के दौरान निर्धारित वर्दी के बजाय सामान्य सिविल कपड़ों में पेश होने पर कड़ी आपत्ति जताई।
जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस अधिकारियों को न्यायिक कार्यवाही के दौरान अदालत की गरिमा बनाए रखते हुए निर्धारित वर्दी में उपस्थित होना चाहिए।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
"पुलिस अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे न्यायालय के समक्ष निर्धारित वर्दी में उपस्थित हों। किसी पुलिसकर्मी द्वारा कोर्ट में सामान्य नागरिक परिधान पहनकर पेश होना, न्यायालय की मर्यादा का उल्लंघन है और न्यायिक प्रक्रिया को कमतर आंकने के समान है।"
यह टिप्पणी उस समय की गई, जब कोर्ट पुलिस अधिकारी शकील अहमद की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अहमद पर आरोप था कि उन्होंने एक व्यक्ति को झूठे मुकदमे में न फंसाने के लिए 5,000 की रिश्वत मांगी थी। इस आरोप के चलते भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत उनके खिलाफ FIR दर्ज हुई और उन्हें गिरफ्तार किया गया।
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अहमद के वकील ने दावा किया कि उनके मुवक्किल उस केस (क्राइम नंबर 8 ऑफ 2025) के विवेचक नहीं थे, जिसमें रिश्वत मांगने का आरोप लगा है। इस दावे की जांच के लिए कोर्ट ने मामले के वर्तमान विवेचक इंस्पेक्टर कृष्ण मोहन राय को केस डायरी सहित तलब किया।
डायरी की जांच के बाद कोर्ट ने पाया कि प्रारंभ में अहमद का नाम विवेचक के रूप में अंकित था, लेकिन कोई भी ऐसा दस्तावेज नहीं मिला, जिससे यह प्रमाणित हो कि उन्होंने वास्तव में जांच का कोई हिस्सा किया हो।
खुद इंस्पेक्टर राय ने भी स्वीकार किया कि केस की फाइल कभी अहमद को सौंपी ही नहीं गई।
इस पर कोर्ट ने राय की निष्पक्ष जांच न करने की आलोचना की और अहमद को जमानत दी।
मामले की सुनवाई समाप्त करने से पहले कोर्ट ने इस बात पर गंभीर आपत्ति जताई कि इंस्पेक्टर राय, जो कोर्ट में आधिकारिक क्षमता में उपस्थित थे वर्दी के बजाय रंगीन शर्ट और पैंट में आए। इसके साथ ही उन्होंने अपर सरकारी वकील (AGA) से भी अनुचित तरीके से बहस की जब AGA ने उन्हें वर्दी न पहनने पर टोका।
कोर्ट ने इंस्पेक्टर को भविष्य में सतर्क रहने की चेतावनी दी और उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करें कि कोई भी पुलिस अधिकारी जब न्यायालय में पेश हो तो वह अनिवार्य रूप से निर्धारित वर्दी में हो। कोर्ट ने DGP को निर्देशों का पालन कर छह सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
केस टाइटल: शकील अहमद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य