यति नरसिंहानंद पर X पोस्ट को लेकर FIR के खिलाफ मोहम्मद जुबैर की याचिका पर सुनवाई से हाईकोर्ट की बेंच ने खुद को अलग किया
जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने पिछले महीने गाजियाबाद पुलिस द्वारा दर्ज FIR को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इस FIR में विवादित पुजारी यति नरसिंहानंद के सहयोगी की शिकायत के बाद उन पर धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था।
सुनवाई के 20 मिनट के भीतर ही बेंच ने खुद को अलग कर लिया और निर्देश दिया कि मामले को दूसरी बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।
जस्टिस त्रिपाठी,
"दूसरी बेंच के समक्ष पेश करें।"
यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी ने जुबैर के खिलाफ FIR दर्ज कराई। इसमें दावा किया गया कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप पोस्ट की, जिसका उद्देश्य मुसलमानों को उनके खिलाफ हिंसा भड़काना था।
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि जुबैर ने पुजारी के संपादित क्लिप को X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, जिसमें विवादास्पद पुजारी के खिलाफ कट्टरपंथी भावनाओं को भड़काने के लिए पैगंबर मुहम्मद पर नरसिंहानंद की कथित भड़काऊ टिप्पणी शामिल थी।
अपने X पोस्ट में उन्होंने नरसिंहानंद के कथित भाषण को अपमानजनक कहा।
जुबैर पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196, 228, 299, 356 (3) और 351 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया।
पिछले सप्ताह हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि उसने जुबैर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 लागू की है, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को अपराध बनाती है। वह इस मामले की पूरी ईमानदारी और उचित परिश्रम के साथ जांच कर रहा है।
हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में जुबैर ने कहा कि उसके X पोस्ट में यति के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया गया। उसने केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद की हरकतों के बारे में सचेत किया। कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की और यह दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देने के बराबर नहीं हो सकता।
उन्होंने BNS के तहत मानहानि प्रावधान के आह्वान को भी इस आधार पर चुनौती दी कि नरसिंहानंद के खिलाफ उनके खुद के वीडियो जो पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में हैं, को साझा करके कार्रवाई की मांग करना मानहानि नहीं हो सकती।
याचिका में यह भी कहा गया कि पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के समय नरसिंहानंद अन्य अभद्र भाषा मामले में जमानत पर है, जहां उनकी जमानत की शर्त यह है कि वह सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा देने वाले कोई भी बयान नहीं देंगे।
यह मामला जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आने की संभावना है।
बता दें कि यति नरसिंहानंद को पैगंबर मोहम्मद और पवित्र पुस्तक कुरान के खिलाफ सवाल उठाने से रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका (जनहित याचिका) लंबित है।