ट्रेन के समय/कनेक्टिविटी के बारे में जनहित याचिका पर फ़ैसला नहीं दिया जा सकता; सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फ़ैसले को निरस्त किया [आर्डर पढ़े]
उत्तराखंड हाईकोर्ट के फ़ैसले को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा की ट्रेन के समय और इसकी कनेक्टिविटी के बारे में जनहित याचिका पर कोई फ़ैसला नहीं दिया जा सकता।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ अपील की थी। हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में हाईकोर्ट बार असोसीएशन की एक याचिका को बंद कर दिया था। इसमें हाईकोर्ट के समक्ष रेलवे की ओर से दायर एक हलफ़नामे में कहा गया था कि संबंधित ट्रेन के समय के बारे में आवश्यक आदेश पास किए जाएँगे और नई सेवाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी।
इस आदेश की आलोचना करते हुए अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस तरह का हलफ़नामा बाध्यकारी परिस्थितियों में दायर किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और संजय किशन कौल की पीठ ने कहा, “जनहित याचिका में जिस बात की माँग की गई है और जिस तरह इस मामले में सुनवाई की गई है और जिस तरह रेलवे के हलफ़नामे के बाद जनहित याचिका को बंद कर दिया गया हैं, उसे देखते हुए हमारी राय में हाईकोर्ट ने अपनी सीमाओं का अतिक्रमण किया है। हमारे विचार में ट्रेन के समय और दो गंतव्यों के बीच नए ट्रेनों की कनेक्टिविटी के बारे में बताना नीतिगत मामला है जिस पर निर्णय सक्षम अधिकारी और उसका कार्यालय ही ले सकता है क्योंकि इसमें बहुत तरह की बातों पर निर्भर करता है और फिर यह इस मामले का किसी पीआईएल के द्वारा निर्णय नहीं हो सकता।
पीठ ने अपील की अनुमति दे दी और हाईकोर्ट के आदेश को ख़ारिज कर दिया और कहा कि रेलवे ट्रेन के समय और इसकी कनेक्टिविटी के बारे में कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।