बिहार शेल्टर होम मामला : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई फटकार, केस CBI को ट्रांसफर करने की तैयारी

Update: 2018-11-27 15:41 GMT

बिहार के 17 शेल्टर होम की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस ने इन मामलों में नरम रवैया अपनाया। जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने चिंता जताते हुए कहा कि इन सारे मामलों को सीबीआई को ट्रांसफर किया जाएगा।

पीठ ने याचिकाकर्ता निवेदिता झा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े की दलील पर गौर किया जिसमें कहा गया कि कई शेल्टर होम में बच्चों के साथ कुकर्म किया गया लेकिन FIR में IPC की मामूली धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए।

पीठ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अब रिपोर्ट कहती है कि शेल्टर होम में बच्चों के साथ कुकर्म हुआ लेकिन पुलिस ने धारा 377 के तहत भी मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया ? ये बडा अमानवीय और शर्मनाक है। बिहार सरकार ने हल्के प्रावधानों के तहत FIR दर्ज की।  कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 377 के तहत भी मुकदमा हो। 110 में से 17 शेल्टर होम में रेप की घटनाएं हुईं। पीठ ने सवाल उठाया कि क्या सरकार की नज़र में वो देश के बच्चे नहीं?

पीठ ने बिहार सरकार को 24 घंटे में एफआईआर में बदलाव करने के लिए कहा। इधर बिहार सरकार की ओर से कहा गया कि वो इस गलती को सुधारेंगे।

वहीं पीठ ने कोर्ट में मौजूद बिहार के मुख्य सचिव को भी फटकार लगाई। नाराज़ कोर्ट ने कहा कि आपका रवैया ऐसा है कि अगर किसी बच्चे के साथ दुराचार होता है तो आप जुवेनाइल बोर्ड के खिलाफ ही कार्रवाई कर देंगे कि बोर्ड कुछ नहीं कर रहा है। पीठ ने बुधवार तक मामले को टालते हुए जवाब देने को कहा। पीठ ने कहा कि   मोतिहारी में हुई घटनाओं के मामले में क्या एक्शन लिया गया। चिल्ड्रन होम में बच्चों को शारीरिक और गाली गलौज से पीड़ित किया जाता था बच्चे इस कदर पीड़ित और डरे हुए हैं कि कुछ बोलते भी डरते हैं। मामले की सुनवाई बुधवार को होगी

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